नोटिस जारी कर मांगे दस्तावेज, लेकिन नहीं कर रहे रिसीव

अरबों-खरबों की जमीन के फर्जीवाड़े में...

इंदौर। स्थानीय प्रशासन द्वारा भूमाफियाओं के खिलाफ चलाये जा रहे अभियान के तहत न्याय विभाग कर्मचारी गृहनिर्माण संस्था के संचालकों द्वारा अरबों-खरबों रुपयों की जमीन के फर्जीवाड़े में अब सहकारिता विभाग द्वारा नोटिस जारी कर अवैध निर्माण, कब्जे आदि के स्वामित्व संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं। विडंबना यह है कि विभाग द्वारा नोटिस जारी कर दस्तावेज तो लिये जा रहे हैं लेकिन उन्हें रिसिव नहीं किया जा रहा है जो अपने आप में आश्चर्यजनक है।

उल्लेखनीय है कि जिला न्याय विभाग कर्मचारी गृहनिर्माण संस्था मर्यादित द्वारा सन २०००-०१ में अभिन्यास प्रस्तावित किया गया था। इस अभिन्यास में काफी बड़ी संख्या में शासकीय खसरे और मंदिर के खसरे के अतिरिक्त शहरी सीलिंग के अतिरिक्त कुछ प्रभावित खसरों को भी अभिन्यास में नक्शे एवं सर्वे नंबर के साथ अंकित किया गया। इस संबंध में जिला कलेक्टर को शिकायत की गई। बताया जाता है कि उक्त सर्वे क्रमांक पर कुछ भूमि पर अवैध आवासीय बस्ती भी निर्मित करवा दी गई। इसमे दो खसरे शासकीय है जिनमे खसरा नं ७६ की जमीन १४८९ एकड़ और खसरा नं. ७७ का रकबा ०.०९६ है। इतना ही नहीं खसरा नं. ८८/१ का रकबा १.८४२ की जमीन श्रीराम मंदिर के नाम पर चढ़ी हुई है और इसके व्यवस्थापक कलेक्टर है। इसी प्रकार चार मंदिरों के अलावा शासकीय भूमि पर भी संस्था द्वारा प्लाट काट दिये गये। हद तो यह है कि संस्था संचालकों द्वारा मदरसे की जमीन भी नहीं बक्शी गई। संस्था के कतिपय संचालकों के खिलाफ कुछ समय पहले जमीनोंकी हेराफेरी और प्लाट न दिये जाने को लेकर मुकदमे भी दर्ज हुए। दूसरी ओर संस्था के पूर्व संचालकों ने न्याय नगर के नाम से ८० एकड़ सरकारी जमीन पर प्लाट बेचने का कारनामा भी कर दिखाया है। अब उक्त सरकारी भूमि पर जिला प्रशासन द्वारा प्लाट दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि इस भूमि पर पूरी तरह से शासन का ही एकाधिकार है। अब लैंड रिकार्ड में बरसों से कलेक्टर के नाम पर उक्त जमीन दर्ज है।
सूत्रों के अनुसार अरबों-खरबों की जमीन के इस फर्जीवाड़े को लेकर सहकारिता विभाग द्वारा प्लाटधारकों से भूमि/भूखंडों पर स्वामित्व, आधिपत्य, कब्जे के समस्त दस्तावेजों की सत्यापित छायाप्रति मूल रिकार्ड के साथ प्रस्तुत करने के लिए नोटिस जारी किये गये। यहां महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि दस्तावेज प्रस्तुत करने पर विभाग द्वारा रिसीव नहीं किया जा रहा है। इसको लेकर तरह तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है। सवाल यह उठता है कि जब नोटिस जारी कर दस्तावेज प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गये हैं तो फिर उन्हें रिसीव क्यों नहीं किया जा रहा है। देखना यह है कि आगे-आगे होता है क्या?

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