फिर हो सकता है जहरीला शराब कांड

सिंडिकेट माफिया ने गायब किये बच्चे, नाप से तोल कर बेच रहे मदिरा

इंदौर। आप माने या ना माने किंतु हकीकत यही है कि यदि समय रहते स्थानीय पुलिस प्रशासन के साथ ही आबकारी अमला सजग नहीं हुआ तो कभी भी महानगर में एक बार फिर भीषण जहरीला शराब कांड हो सकता है। हद तो यह है कि आबकारी विभाग के प्रतिबंध के बावजूद शहर के अधिकांश देशी शराब दुकानों पर एक बार फिर से नाप से तोल कर मदिरा बेची जा रही है। हद तो यह हो गई है कि सिंडिकेट माफिया ने अपने गुर्गों के फायदे को देखते हुए बच्चे ही गायब कर दिये।
उल्लेखनीय है कि १९७० के दशक में महानगर में जहरीला शराबकांड हुआ था जिसमे सैकड़ों लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। उस समय कई लोग अंधे भी हो गये थे। इस शराब कांड की गूंज प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश तक पहुंची थी। इसी के मद्देनजर मुंबई से चाटर्ड प्लेन कर एक फिल्म डिविजन इंदौर पहुंची थी और उसके बाद इस शराब कांड पर फिल्म भी बनी थी। राज बब्बर अभिनीत इस फिल्म ने शराब कांड को लेकर अच्छी खासी तारीफे भी बटोरी थी। हालांकि इस वाक्ये को गुजरे तकरीबन ४० बरस गुजर चुके हैं लेकिन उस हादसे की यादे आज भी लोगों के जेहन में ताजी है। अभी दो माह पहले भी महानगर में शराबकांड हुआ था। मरीमाता क्षेत्र स्थित सपना बियर बार के साथ ही पेरेडाइज बार में भी अवैध शराब कांड उजागर हुआ। यहां पर भी जहरीली शराब पीने से लगभग आधा दर्जन लोगों की मौतें सामने आने के बाद प्रशासन सजग हुआ। पहले तो इस मामले को रफा दफा करने की कोशिश की गई लेकिन यह नाकामयाब रही। बाद में स्थानीय प्रशासन ने सख्ती का रुख अपनाते हुए इन दोनों ही बार को ध्वस्त कर डाला। इतना ही नहीं, आबकारी विभाग द्वारा शहर की विभिन्न मदिरा दुकानों पर बेचने वाली खुली शराब पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसी बीच प्रदेश शासन द्वारा लिये गये निर्णय के मुताबिक शहर में ९० एमएल मात्रा की छोटी शराब बाटले भी उपलब्ध करवानी शुरु कर दी गई। इसके साथ ही सभी शराब दुकानों को सख्त निर्देश दिये गये थे कि वे बिना बिल के शराब न बेंचे। बताया जाता है कि यह सब कवायद इसलिए की गई थी ताकि अवैध, जहरीली शराब पर अंकुश लगाया जा सके। सूत्रों के मुताबिक कुछ समय तो शासन प्रशासन एवं आबकारी विभाग के निर्देशों का शराब दुकानदारों द्वारा पालन किया गया लेकिन निहित स्वार्थों के चलते एवं कतिपय आर्थिक लाभ को दृष्टिगत रखते हुए शराब सिंडिकेट ने न केवल शराब दुकानों से ९० एमएल मात्रा की छोटी शराब बाटले गायब करवा दी बल्कि बिल देना भी बंद कर दिया। यहां पर यह प्रासंगिक है कि देशी विदेशी मदिरा दुकान पर बिकने वाली ९० एमएल की बाटल को सामान्यत: बेवड़ों की लेंग्वेज में ‘बच्चाÓ कहा जाता है। हद तो यह हो गई कि इन शराब दुकानदारों ने आबकारी विभाग के निर्देशों की खुली धज्जियां बिखेरते हुए एक बार फिर से नाप के माध्यम से शराब तोल कर बेचने की शुरुआत कर दी। इसके चलते अब इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता कि एक बार फिर अवैध एवं जहरीली शराब का कारोबार कभी भी भीषण हादसे का कारण बन सकता है।

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