कबाड़ में बदल गए 15 करोड़ के नए वाहन

अनदेखी के चलते थम गए डायल 100 के पहिए

इंदौर। शहर में सतत निगरानी रखने और अपराधों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से चलाई जा रही डायल 100 सेवा बंद हो गई है। इस सेवा में लगने वाले दर्जनों टाटा सफारी वाहन जगह-जगह खड़े धूल खा रहे हैं। ऐसे में प्रदेश में चल रहे 15 करोड़ के एक हजार वाहन वाहन भंगार में बदल गए।
शहर में अपराधों पर सतत नजर रखने के लिए सरकार ने 2015 में डायल 100 सेवा की शुरुआत की थी। इसके तहत 15 करोड़ की लागत से पूरे प्रदेश में 1000 वाहन खरीदे गए थे। मगर सरकार ने मार्च 2021 में इस सेवकों एक्सटेंशन नहीं दिया जिससे पूरे प्रदेश में चल रही डायल 100 वाहन खड़े हो गए हैं।
6 साल से कंपनी के पास जिम्मा
बीवीजी कंपनी के पास डायल-100 सेवा के संचालन का जिम्मा वर्ष 2015 से है। शुरुआत में एक हजार वाहन सड़क पर दौड़ रहे थे। उसके टेंडर की अवधि मार्च 2021 में खत्म हो चुकी है। नया टेंडर नहीं होने पर कंपनी को दिसंबर 2021 तक का एक्सटेंशन दे दिया था। बावजूद इसके मार्च से ही इन्हें जहां का तहां खड़ा कर दिया गया। एक ही जगह खड़े यह वाहन अब खराब हो चुके हैं। प्रदेश में पीड़ित लोगों को त्वरित सेवा देने के लिए शुरू की गई डायल-100 सेवा रखरखाव के अभाव में दम तोड़ चुकी है। पुलिस के डायल-100 वाहन रखरखाव के अभाव में कहीं भी किसी भी समय खड़े रह जाते थे। शहर में हाईवे पर खड़ी होने वाली एफआरवी वैन गश्त अब गली मोहल्लों में खराब हालात में पड़ी देखी जा रही है।
कई जगह खड़े हैं वाहन
2015 में शुरू की गई डायल-100 सेवा के तहत इंदौर जिले में कई वाहन उपलब्ध कराए गए थे। वर्तमान में शहर में कई जगह यह वाहन खड़े देखे जा सकते हंै। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में भी थाना क्षेत्र या थाना प्रांगण में खड़े हैं। कई जगह से तो इनके पार्ट्स भी चोरी हो गए हैं। इन वाहनों को चलाने के पीछे शासन का उद्देश्य यही था कि पीड़ित को तत्काल मदद मिल सके। शहरी क्षेत्र में 10 मिनट और ग्रामीण क्षेत्र में 30 मिनट के अंदर वाहन पहुंचना अनिवार्य किया गया था।

रखरखाव नहीं होना बना कारण
तत्काल सहायता के अलावा इन्हीं वाहनों से गश्त भी कराया जाता है। खराब सड़कों पर दौड़ते इन वाहनों के रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया गया जिससे इनकी हालत बिगड़ती गई। अब यह पूरी तरह से खराब हो गए तो इन्हें ऐसे ही लावारिश छोड़ दिया गया।

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