एक सेल्यूट तो बनता है सफाईवीरों को…

राजेश यादव
इन्दौर। स्वच्छ भारत अभियान के तहत हर वर्ष स्वच्छता सर्वेक्षण में देश के हजारों शहर भाग लेते हैं, मगर इन्दौर शहर को ही तमगा मिलना कहीं न कहीं सबसे पहले हजारों सफाईमित्रों या सफाईवीरों की कड़ी मेहनत और जज्बे का ही नतीजा रहा कि वर्ष 2016 से 2021 तक लगातार पांच बार पूरे देश में सर्वेक्षण में इंदौर नंबर 1 आया। देशभर में लगातार 5 बार सफाई में नंबर 1 आना आसान नहीं है लेकिन यहां के सफाईवीरों (सफाईमित्रों) ने हर बार दिनरात तल्लीनता से काम करते हुए यह कर दिखाया और आज दिल्ली में महिला सफाईमित्र इंदिरा आदिवाल के साथ नगर निगम प्रशासक डॉ. पवन कुमार शर्मा, कलेक्टर मनीष सिंह, आयुक्त प्रतिभा पाल और अन्य अधिकारियों को राष्ट्रपति के हाथों तमगा मिलेगा। लगभग 12 हजार सफाइमित्रों को सेल्यूट है और शहर सहित प्रदेश की करोड़ों जनता भी इन्दौर नगर निगम के कर्मचारियों, अधिकारियों को सलाम करती है। किसी भी शहर के लिए यह बड़ी बात होती है कि हजारों शहरों में केवल वहीं शहर सफाई में नंबर 1 आ रहा है। सफाईमित्रों के साथ शहर के आम लोगों की भी यह जिम्मेदारी होती है कि वे सड़कें, चौराहें, बगीचे, फुटपाथ, बाजार, गली-मोहल्ले साफ रखे लेकिन जब भी कभी कही कचरा, गंदगी सफाई के बाद भी होता था तो कही न कही सफाईमित्र नाराज भी होते थे और लोगों को समझाइश भी देते थे। मूसलाधार बारिश, कड़ाके की ठंड और प्रचंड गर्मी में भी दिन-रात शहर को साफ-स्वच्छ रखने का जज्बा इंदौर के सफाईवीरों में भी हर बार देखा गया। इसके अलावा दिवाली, दशहरा, होली, रक्षाबंधन, ईद जैसे पर्व हो या सफाईमित्रों के घरों में कैसी भी परिस्थिति हो उन्होंने कभी भी अपने काम से मुंह नहीं मोड़ा और पूरी जिम्मेदारी के साथ शहर को हर दिन साफ रखा और अवकाश भी नहीं मनाया। दिल्ली की टीम हर बार जब भी सर्वेक्षण करने आती थी तो निगम के सैकड़ों अधिकारियों और हजारों कर्मचारियों की फौज हर मोर्चे पर मुस्तैद रहती थी। इसी का नतीजा है कि वाटर प्लस प्लस सर्वे में पहले ही इंदौर शहर नंबर 1 आ गया और आज स्वच्छता का तमगा भी लगातार पांचवीं बार मिलेगा। सफाईमित्रों का यह कहना है कि यदि उन्हें सही दिशा मिले तो वे स्वच्छता में शहर की दशा बदल दे और उन्होंने हर बार ऐसा ही किया। प्रशासनिक और राजनीतिक इच्छाशक्ति व कड़ी मेहनत के चलते ही सफाईवीरों ने इंदौर का नाम देश के साथ पूरे विश्व में हर बार रोशन किया। तमगा मिलने के बाद हर बार सफाईमित्रों और संगठनों ने नगर निगम, प्रशासन और सरकार से यह मांग की कि उन्हें कुछ ऐसा पुरुस्कार दिया जाए जिससे वे उनके परिजन सही मायने में खुश हो सके। संभवत: इस बार उनकी यह मांग पूरी होगी इतना हक तो उनका बनता है। शहर की करीब 30 लाख की आबादी सफाईवीरों को सेल्यूट करती है और यह उम्मीद करती है कि छटवीं बार भी हमारे यही सफाईवीर देश के हजारों शहरों में इंदौर शहर को ही स्वच्छता का गोल्ड मेडल दिलाएंगे। सेल्यूट है हजारों सफाईवीरों को… दैनिक दोपहर परिवार भी सफाईवीरों को बार-बार सेल्यूट करता है…
दिवाली हो या होली सड़कों पर नजर नहीं आई गंदगी : इंदौर की रंगपंचमी पूरे देश में प्रसिद्ध है। यहां फाग यात्रा हो या निकलने वाली गैर, दोनों से शहर में रंगों का सैलाब नजर आता है व पानी से मनाए जाने वाले इस त्यौहार पर सड़कों पर पानी भी बहाया जाता है। जिसके कारण चौड़ी सड़क हो या तंग गलियां, रंगों से सरोबर नजर आती है। गुब्बारे व पॉलीथिन से सड़कें पट जाती थीं लेकिन इस अभियान के बाद इस त्यौहार के शाम को समाप्त होते ही सड़कों पर सिर्फ सफाईमित्र नजर आते थे जो चंद घंटों में शहर को पहले जैसा ही कर देते थे। ऐसे ही दिवाली के आने के पहले ही पटाखों का उपयोग शुरू हो जाता है, लेकिन सफाईमित्र चंद घंटों में ही पटाखों का कचरा समेट लेते थे। जिसके कारण कही गंदगी नजर नहीं आती है। इन दोनों त्यौहारों के साथ अन्य त्यौहारों पर भी सफाईमित्र बहुत चौकन्न रहते हुए साफ-सफाई का ध्यान रखते आए है।

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