इन्दौर-खंडवा: 4 अरब रुपए चाहिये महू से चोरल के बीच रेल मार्ग बनाने के लिए, १२ बोगदे और नर्मदा पुल के लिए चाहिए 6 अरब..

12 साल से पूरी नहीं हो पा रही इंदौर-दाहोद रेल परियोजना, 204 में से 105 किमी ही बनी

इंदौर (धर्मेन्द्रसिंह चौहान)।
पिछले कई वर्षों से इंदौर से खंडवा रेल मार्ग को लेकर प्रयास जारी है। इंदौर से महू तक अभी रेल लाइन का कार्य पूरा हो चुका है तो दूसरी ओर खंडवा से सनावद तक भी रेल लाइन लगभग डाली जा चुकी है। वहीं सबसे ज्यादा जटिल रेल लाइन महू से चोरल के बीच डलनी है। इस पर १२ नई सुरंगे और तीन नये स्टेशन बनाये जाना है इसके अलावा नर्मदा नदी पर एक किमी लंबा पुल भी प्रस्तावित है। रेल मंत्रालय इंदौर से खंडवा की इस महती परियोजना से फिलहाल इसलिए पीछे हट रही है कि इसके लिए बहुत बड़े बजट की जरुरत है। अभी महू और चोरल के बीच चार स्टेशन है। चोरल, कालाकुंड, पातालपानी जबकि यहां तीन नये स्टेशन कुलथाना, बेका और बड़िया का निर्माण होना है। इसके साथ ही कालाकुंड को बायपास करने के लिए २१ किमी का अलाइंनमेंट बढ़ जाएगा। इसके चलते महू से चोरल ४६ किमी लंबा हो जाएगा जो पहले २५ किमी ही था।

रेल विभाग के तकनीकी इंजीनियरों के अनुसार इंदौर से खंडवा रेल मार्ग की हालत इंदौर-दाहोद रेल परियोजना से भी ज्यादा कठिन है। इसका कारण यह है कि इंदौर-दाहोद रेल परियोजना का बजट दो हजार करोड़ होने के बाद भी यह योजना १२ सालों से अधूरी पड़ी हुई है वहीं इंदौर खंडवा में महू से चोरल रेल लाइन के लिए ६ हजार करोड़ से ज्यादा का खर्च अनुमानित है। इसमे १४.१२ किमी की १२ सुरंगे बनाई जानी है। इसमे सबसे बड़ी ५.३ किमी की सुरंगे अभी महू और सनावद के बीच की दूरी ६४ किमी है जबकि बड़ी लाइन डलने के बाद यह दूरी ८५ किमी के लगभग हो जाएगी। इसमे चार सुरंगे और आठ स्टेशन शामिल हो जाएंगे। महू, पातालपानी, कालाकुंड, चोरल, मुक्तीलाय, कुलथाना, बलवाड़ा, बड़वाह, ओमकारेश्वर रोड़ और सनावद। महू से सनावद के बीच यह दूरी कुल ८५ किमी हो जाएगी। इस मार्ग का सर्वे करने को लेकर पश्चिमी रेल विभाग की एक टीम ने पातालपानी और चोरल के बीच पैदल यात्रा भी की थी। यह टीम तीन दिन बाद मार्ग पर पहुंच पाई थी। वहीं बड़वाह के निकट नर्मदा का एक पुल भी निर्मित करना होगा। जिसके लिए बड़े बजट की जरुरत होगी। वही दूसरी ओर इंदौर से गुजरात को जोड़ने वाली परियोजना १२ साल बाद भी पूरी नहीं हो पाई है। इस योजना पर १६३४ करोड़ का प्रावधान रखा गया था यह योजना २०२२ में पूरी होनी थी अब इसका बजट बढ़कर २ हजार करोड़ के पार हो गया है और दस सालों में इंदौर से दाहोद की २०५ किमी लंबी रेल लाइन में से केवल १०० किमी का ही निर्माण हो पाया है।

एक किमी रेलवे ट्रेक में लगते है दस करोड़
वर्तमान रेलवे ट्रेक में आयरन का यूज तो होता ही है साथ ही बड़ी मात्रा में स्टील का यूज भी किया जाता है। जिस कारण आज के रेलवे ट्रेक काफी स्ट्रांग और किफायती बनते हैं। एक किमी रेलवे ट्रेक बिछाने के लिए करीब सात से दस करोड़ रुपए खर्च होते हैं।
सनावद में मिलेगी लाइन
महू से चोरल होकर सनावद जाने वाले नई रेलवे लाइन सनावद से ढाई किमी पहले वर्तमान रेलवे ट्रेक से मिलाई जाएगी जो रतलाम वाली लाइन से मिलेगी। यहां टीही, पीथमपुर, सागौर, गुनावर, धार यहां से छोटा उदयपुर धार लाइन से जुड़ेगी तो सरदारपुर, झाबुआ, पिटोल, कटावरा के बाद दाहोद पहुंचेगी।
पीथमपुर कंटेनर ले जाना पड़ रहा है महंगा
इस परियोजना के पूरे नहीं हो पाने के कारण गुजरात से पीथमपुर पहुंचने वाले एक कंटेनर पर ८० हजार रुपए खर्च हो रहा है। यदि यह मार्ग पूरा हो जाएगा तो बीस हजार की बचत होगी वहीं महू से सेना को किसी भी जगह ले जाने के लिए यात्रा मार्ग उपलब्ध रहेगा।
अनुमानित खर्च
२ अरब ७५ करोड़ रुपए में २५ किमी लंबी रेल लाइन का निर्माण होगा। एक बोगदे के निर्माण में ५० से ६० करोड़ रुपए खर्च होते हैं। १२ बोगदों के निर्माण में ६ अरब रुपए खर्च होंगे। इसमे पांच किमी लंबे एक बोदगे पर १५० करोड़ रुपए तक भी खर्च हो सकते हैं।

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