पैसा संस्था का और पॉवर दूसरे नाम पर, किसान के मरने के बाद भी बेचते रहे जमीनें

80 एकड़ से ज्यादा जमीन सरकारी पर प्लाट काटकर बेच डाले, मामला बेहद पेचिदा

इंदौर। देवी अहिल्या गृह निर्माण संस्था और जिला न्याय विभाग कर्मचारी गृहनिर्माण सहकारी संस्था मर्यादित के बीच जमीनों के घालमेल में इस कदर फर्जीवाड़ा जमीनों को लेकर किया गया है कि यहां बड़ी तादाद में सरकारी जमीनों पर प्लाट काटकर तो बेचे ही गये है वहीं दूसरी ओर एक सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा यह है कि देवी अहिल्या गृहनिर्माण संस्था के पैसों से बालमुकुंद सिद्ध ने अपने नाम जमीनों के पॉवर करवाकर जमीनों में बड़ी हेराफेरी की है। इसमे एक सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा यह भी है कि १९९५ में मृत हुए एक किसान के पॉवर से १९९७ में बालमुकुंद सिद्ध ने न्याय नगर संस्था में रजिस्ट्री कर प्लाट बेच दिया। इसके अलावा एक ही पॉवर से दो दो रजिस्ट्रियां भी कई गई संस्था की एक बड़ी जमीन इस्लाम पिता इस्हाक पटेल को भी बेच दी गई।
जिला न्याय विभाग कर्मचारी गृहनिर्माण सहकारी संस्था मर्यादित में जिन जमीनों पर प्लाटों का फर्जीवाड़ा किया गया है उनमे बड़ी तादाद में ऐसी जमीनें भी शामिल है जिन पर मंदिर और मदरसे की जगह पर भी प्लाट काट दिये गये हैं। इसके अलावा जिन भूमि के व्यवस्थापक कलेक्टर है उन भूमि पर भी प्लाटों को बेच दिया गया है। अब यहां प्रशासन चाहे भी तो प्लाट नहीं दे पायेगा क्योंकि कारण यह है कि इसमे ८० एकड़ जमीन सरकारी है जबकि केवल बीस एकड़ जमीन पर भी संस्था का कब्जा है। इसके अलावा इस संस्था में जमीनों के भारी फर्जीवाड़े किये गये है। देवी अहिल्या गृहनिर्माण संस्था की ली गई जमीन में संस्था के नाम पर पॉवर न करते हुए बालमुकुंद सिद्ध के नाम पर जमीनों के पॉवर किये गये। जबकि जमीन खरीदी का सारा पैसा संस्था द्वारा दिया गया। बालमुकुंद सिद्ध ने बाले बाले ही इन जमीनों की रजिस्ट्रियाँ न्याय नगर एक्सटेंशन में कर दी। इसमे एक जमीन जिसका खसरा नंबर १२९ है यह ३.४२ हेक्टेयर जमीन है इसकी रजिस्ट्री भी हो गई। जबकि इसके व्यवस्थापक पर खसरे में कलेक्टर का नाम चढ़ा हुआ है। आश्चर्य की बात यह है कि रजिस्ट्रार ने भी आंख बंद करके बिना कागज देखे यह रजिस्ट्रियाँ कर दी है। दूसरी ओर १९९५ के पहले हाजी नाहरसिंह पिता दावेश पटेल की जमीन के पॉवर बालमुकुंद सिद्द ने अपने नाम करवाये थे। वहीं इस किसान की १९९५ में मृत्यु हो गई इसके बाद भी बालमुकुंद सिद्ध ने १९९७ में पॉवर से ही जमीन की रजिस्ट्री कर दी और प्लाट भी बेच दिये। जबकि मरने रके बाद पॉवर शून्य हो जाता है। यह जमीन भी १.८८ हेक्टेयर है। इसी प्रकार खसरा नंबर ६९/२ नंदकिशोर पिता शिवनारायण के नाम पर है यह २.९०० हेक्टेयर थी। यह जमीन भी बालमुकुंद सिद्ध ने एक ही पॉवर से दो लोगों को रजिस्ट्रियाँ कर दी। बाले बाले ही यह तीन हेक्टेयर जमीन इस्लाम पिता इस्हाक पटेल को बेच दी। इनमे से बड़ी तादाद में जमीन सरकारी है जिन पर बड़ा फर्जीवाड़ा देवी अहिल्या और न्याय नगर गृहनिर्माण के बीच चलता रहा। इनमे से दो जमीनों की रजिस्ट्रियाँ भी शून्य करने के मामले में अदालतों में प्रकरण उलझे हुए हैं। दूसरी ओर न्याय नगर एक्सटेशन में जहां जिला प्रशासन प्लाट देने की तैयारी कर रहा है वहां पर ८० प्रतिशत जमीन पर कब्जे हो चुके हैं। इनमे से कई के पास कागज भी नहीं है।

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