अभी भी भूमाफिया तालाब के मगरमच्छ बचे हुए हैं
400 करोड़ लेकर आशीष दास नहीं दे रहे सुपर कॉरिडोर पर प्लाट
इंदौर। एक ओर जहां जिला प्रशासन ने शहर में जमीनों की जालसाजी और डायरियों पर करोड़ों रुपए लेकर कामकाज करने वाले धंधेवालों को कानून के दायरे में लाकर लगाम कस दी है वहीं अभी भी शहर में ४०० करोड़ रुपए से ज्यादा की आठ से दस साल पुरानी डायरियां और रजिस्ट्रियाँ घूम रही हैं। जिन लोगों की यह कॉलोनियां सफेद हाथी की तरह खड़ी हैं उनमे से एक सुपर कॉरिडोर पर पिनेकल टाउनशिप बनाने वाले आशीष दास भी है जो फ्लेट की हेराफेरी में जेल होकर आ गये हैं और अब वे बड़ी दबंगता से प्लाट मांगने वालों को यह कहते हैं कि वे जेल होकर आ गये है अब जिसे जो करना हो वो करें…। दूसरी ओर खंडवा रोड़ पर उमरीखेड़ा में ६० एकड़ जमीन पर दस साल पहले वजिंदरसिंह छाबड़ा द्वारा काटी गई कॉलोनी में तार फेंसिंग लगाकर अंदर घूसने पर भी रोक लगा रखी है। इसके अलावा इसी प्रकार १० साल के पहले सुपर कॉरिडोर पर ब्लूमबर्ग के नाम से काटी गई टाउनशिप के प्लाट होल्डर भी अभी तक डायरियां और कागज लेकर भटक रहे हैं। प्रफुल सकलेचा ने इसी जमीन पर अब दूसरे नाम से कॉलोनी विकसित करना प्रारंभ कर दी है।
एक ओर जहां जिला प्रशासन ने शहर में नई कॉलोनियों के नाम पर एक हजार करोड़ से ज्यादा के डायरियों में चल रहे फर्जीवाड़े पर बड़ी लगाम लगाने के बाद यह कारोबार अब लगभग पूरी तरह रुक गया है। जिला कलेक्टर द्वारा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग में नक्शा लगाने के पूर्व कॉलोनाइजरों से यह शपथ पत्र भी मांगा है कि उन्होंने डायरियों पर पुरानी तारीख में कोई प्लाट नहीं बेचा है इसके बाद ही वे नक्शा और विकास अनुमति ले पाएंगे। यदि इसमे शपथ पत्र झूठा पाया गया तो मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने का प्रावधान किया जा चुका है। कनाड़िया रोड़ पर कॉलोनी काटने वाले महेंद्र अग्रवाल और ऐरन ७ लाख फीट से ज्यादा का माल बेचने के बाद झूठा शपथ पत्र लगाने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सुपर कॉरिडोर पर पिनेकल के नाम से बनाई गई टाउनशिप जो लगभग चालीस एकड़ में घोषित की गई थी। इस टाउनशिप में लगभग आठ लाख फीट माल आशीष दास ने चार सौ करोड़ में बेचा था। इनमे से आधे के पास पूरे पैसे दिये जाने की डायरियां है तो तीन सौ से ज्यादा रजिस्ट्रियां भी मौजूद है। आशीष दास ने टाउनशिप में कोई भी विकास कार्य नक्शा स्वीकृत कराने के बाद नहीं किया है। जर्जर स्थिति में अधूरी पड़ी टाउनशिप में अब बागड़ लगाकर मुख्य गेट बंद कर दिया गया है। जो भी लोग यहां कब्जा लेने के लिए बात करने जाते है तो उन्हें कहा जाता है कि मुकदमा दर्ज करवा दो हम जेल होकर आ गये हैं। ८०० से ज्यादा लोग अपने प्लाटों के लिए यहां दस साल से संघर्ष कर रहे हैं। दूसरी ओर खंडवा रोड़ पर उमरीखेड़ा में पचास एकड़ के लगभग बनाई गई शिवसिटी की हालत और भी खराब है। बड़ी तादाद में लोगों के पास रजिस्ट्री है परंतु अब कॉलोनाइजर प्लाट देने के लिए तीन गुना तक ज्यादा रकम रजिस्ट्री के बाद भी मांग रहा है। सरदार वाजिंदरसिंह छाबड़ा द्वारा यह टाउनशिप विकसित की गई थी। इसी खंडवा रोड़ पर माँ लक्ष्मीधाम में भी दस साल से ज्यादा समय से प्लाटों पर कब्जा नहीं दिया जा रहा है। सुपर कारिडोर पर ही कई वर्ष पहले ब्लूमबर्ग के नाम से अंतर्राष्ट्रीय कंपनी दिखाकर प्रफुल सकलेचा ने यहां बड़ी तादाद में बड़ी तादाद में प्लाट बेचे थे बाद में ब्लूमबर्ग कंपनी द्वारा सूचना मिलने के बाद जब कार्रवाई शुरु की तो टाउनशिप का नाम बदल दिया गया। अब ब्लूमबर्ग का नाम हटाकर एक्सटर्न रियलटी प्रा.लि. के नाम से नया कामकाज शुरु कर दिया है। दूसरी ओर ब्लूमबर्ग में जिन्हें प्लाट दिये गये थे उन्हें किसी प्रकार का कब्जा अभी तक नहीं मिल पाया है। बीस से अधिक शिकायतें पुलिस के पास दी जा चुकी है। अभी भी जमीन जालसाजी करने वाली बड़ी मछलियां प्रशासन की कार्रवाई से पूरी तरह बचाये हुए हैं। इधर जिला प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि जिन्हें भी अपने प्लाट न मिलने को लेकर कोई भी दिक्कत हो रही हो तो वे प्रमाण के साथ जिला प्रशासन को जनसुनवाई के दौरान आवेदन दे सकते हैं।