झलारिया में 100 करोड़ का नाहटा कालेज सौदा विवादों में
डायरियों के सौदे अब उलझ गए, पैसे मांगने वाले वापस आने लगे
इंदौर। एक ओर जहां शहर में डायरियों पर हुए 600 करोड़ से ज्यादा के सौदे उलझ रहे हैं, वहीं पुरानी डायरियों पर किए गए कारोबार के बाद एक टाऊनशीप में नाम बदलकर फिर से डायरियों पर काम शुरू हो चुका है। जो प्लाट पहले डायरियों पर बेचे गए थे, अब कंपनी का नाम बदलकर नए सिरे से बेचे जा रहे हैं। सुपर कारिडोर पर ब्लूमबर्ग के नाम से बनाई गई टाऊनशीप में यह काम चल रहा है। इधर नई डायरियों के लोगों को पुरानी टाऊनशीप के बारे में नहीं बताया जा रहा है। इसके पूर्व में कर्ता-धर्ता प्रफुल्ल सखलेचा थे, जो अब नया कार्यालय खोलकर नए नाम से कामकाज कर रहे हैं। वहीं डायरियों पर प्लाट बेचने वाले रेडिमेड कारोबारी उमेश डेमला के पास अब टाऊनशीप की डायरियां वापस लौटना प्रारंभ हो गई है। शैक्षणिक कार्य के लिए नाहटा कालेज की झलारिया में स्थित जमीन का 100 करोड़ का सौदा भी इसी के साथ उलझ गया है।
जिला कलेक्टर मनीष सिंह की सख्त कार्रवाई के बाद उन्होंने यह भी निर्देश दिए हैं कि डायरियों पर किए गए कामकाज को तुरंत बंद किया जाए। साथ ही डायरियों पर किए गए सौदे के पैसे भी वापस करना शुरू किए जाए। टाऊन एंड कंट्री प्लांनिंग में नक्शा लगाने और अनुमति लेने के पूर्व यह शपथ पत्र देना होगा कि इस टाऊनशीप में किसी भी प्रकार कामकाज पहले डायरियों पर नहीं किया गया है। दूसरी ओर जिन दलालों ने 600 करोड़ से ज्यादा के प्लाट डायरियों पर बेच रखे थे, अब उनकी किश्तें भी उलझ गई है। 4 हिस्सों में ली जाने वाली किश्तों में डायरियों पर अधिकतम 2 किश्तें ही मिली है। इसके बाद अब प्रशासन की कार्रवाई से डायरियों के पैसे आना पूरी तरह बंद हो गए हैं।
6 माह में ही यह टाऊनशीप विकसित होनी थी, जो अब उलझ गई है। ऐसे में कुछ जगहों पर जमीनों के सौदे ही हुए थे, जहां पैसा अभी दिया जाना था, अब इन सौदों में विवाद शुरू हो गए हैं। नाहटा कालेज की जमीन पर ग्राम झलारिया में शैक्षणिक भूमि पर प्लाट काटे जा रहे थे, यह सौदा 100 करोड़ का था, इसमें इसी माह 30 करोड़ रुपए और दिए जाना है। यदि यह पैसा नहीं मिला तो नाहटा परिवार सौदा रद्द कर देगा। इधर महेन्द्र अग्रवाल और ऐरन अपना 7 लाख फीट माल कनाड़िया रोड पर बेच चुके हैं। अब यह झूठा शपथ पत्र लगाने की तैयारी कर रहे हैं।
साऊखेड़ी की 52 एकड़ जमीन पर यह कालोनी काट दी गई है। डायरियां बाजार में घूम रही है और टीएनसी में झूठा शपथ पत्र देकर यह नक्शा लगाने की तैयारी की जा रही है। वहीं सबसे बड़ा डायरियों का एक और फर्जीवाड़ा सामने आया है, सुपर कारिडोर पर ब्लूमबर्ग के नाम से कई साल पहले टाऊनशीप बनाई गई थी, परन्तु किसानों से विवाद और कंपनी के नाम पर आपत्ति होने के बाद यह पर बेचे गए प्लाट लगभग 10 वर्षों से उलझें पड़े हुए हैं, फिर से प्रफुल्ल कुमार सखलेचा ने नए नाम से यहां पर डायरियां बनाना शुरू करवाई है। इनमें वे प्लाट फिर से बिक रहे हैं, जो पहले ही डायरियों पर बेचे गए थे। कुछ प्लाटों की लिखा-पढ़ी भी हुई थी, जिन्हें कोई जानकारी नहीं है। प्रफुल्ल सखलेचा सूर्या होटल के पास नया कार्यालय खोलकर एक्सटर्न रियलिटी के नाम पर रियलिटी इंडिया प्रा. लि. के नाम पर यहां पर नए सिरे से प्लाट बेच रहे हैं। इधर कई लोगों ने डायरियों के पैसे विवाद बढ़ने के बाद वापस मांगना शुरू कर दिए हैं। रेडिमेड काम्पलेक्स में कल प्रापर्टी दलाल और रेडिमेड काम्पलेक्स एसोसिएशन के अध्यक्ष उमेश डेमला के यहां 50 से अधिक लोग अपने पैसे लेने के लिए बैठे रहे। वे शाम तक नहीं आए थे।