जंगल हुए कम मगर, दो दर्जन से ज्यादा हुई तेंदुए की संंख्या

इंदौर वनमंडल में 28 तेंदुए जबकि 3 हजार 421 प्रदेश में

इंदौर (धर्मेन्द्रसिंह चौहान)।
शहर में दिनों दिनों नई-नई कॉलोनियां बनने से वन क्षेत्र हर दिन कम होता जा रहा हैं। भारतीय वन सर्वेक्षण 2019 के अनुसार इंदौर वनक्षेत्र का क्षेत्रफल लगभग 0.26 प्रतिशत कम हो गया है। इससे पहले इंदौर का वनमंडल क्षेत्र लगभग 3 हजार 800 वर्ग किलोमीटर था। वनक्षेत्र में लोगों के बसने की वजह से आए दिन जंगली जानवर शिकार की तलाश में शहर में दाखिल हो रहे हैं। इंदौर के आस-पास वन क्षेत्र तो कम हो रहे हैं मगर जंगल में तेंदुओं की संख्या दो दर्जन से ज्यादा बढ़ गई है। इंदौर का वन क्षेत्र कम होना इससे भी पता चल रहा हैं कि आए दिन जंगली जानवर शहर में प्रवेश कर रहे हैं। यही कारण हैं कि तेंदुओं की आमद शहर में ज्यादा होने लगी है।
इंदौर शहर में बढ़ती आबादी से वन क्षेत्र दिनों दिन कम होता जा रहा हैं। यही कारण हैं कि जंगल के जानवर अपना पेट भरने के लिए आए दिन शहर में दाखिल हो जाते हैं। वन मंडल द्वारा प्रत्येक तीन साल में एक बार जंगली जानवरों की गिनती करता हैं। पिछली बार हुई गणना में इंदौर वन क्षेत्र में करीब 28 तेंदुए पाए गए थे। कोरोना महामारी के कारण दो सालों से यह गणना नहीं की गई थी, मगर इस बार अक्टूबर माह में इसे फिर से शुरू कर दिया गया हैं। घटते जंगल के कारण जंगली जानवर अपने भोजन की तलाश में तलाश में कॉलोनियों में प्रवेश कर जाते हैं। यही कारण हैं की पिछले तीन सालों में एक दर्जन से ज्यादा बार शहरी क्षेत्र में तेंदुओं ने प्रवेश किया। इंदौर वन सर्कल में धार, झाबुआ, आलीराजपुर के साथ ही चोरल, मानपुर ओर नाहर झाबुआ आता हैं। इस क्षेत्र में वनमंडल प्रत्येक तीन साल में एक बार सर्वे करता हैं। जिससे पता चलता हैं कि जंगल में कौन-कौन से जानवर कितनी तादाद में है। इसके साथ ही प्रत्येक दो साल में भारतीय वन सर्वेक्षण विभाग जंगलों का आकलन करता है। इसमें सैटेलाइट की मदद भी ली जाती है। जबकि वन मंडल द्वारा भी प्रत्येक तीन साल में एक बार वन प्राणियों की गणना की जाती हैं, मगर कोरोना महामारी के कारण पिछले दो साल से यह गणना नहीं हो पाई। इस बार वन मंडल द्वारा अक्टूबर माह में वन प्राणियों की गणना का अभियान शुरू किया गया है।
चार स्थानों पर हो चुका हैं हमला
जंगल काट कर बन रही नई-नई कॉलोनियों में लोग बसते चले जा रहे हैं, और जंगल धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं। ऐसे में जंगली जानवरों द्वारा शहर में प्रवेश किया जा रहा हैं। पिछले तीन साल से हर साल शहर के किसी न किसी रिहायसी क्षेत्र में तेंदुए प्रवेश कर रहे हैं। जिससे शहरवासियों में दहशत बनी हुई है। रालामंडल, पल्हर नगर, रानीबाग और सांवेर रोड के इंडस्ट्रीज सेक्टर में भी तेंदुए ने काफी उत्पाद मचाया था। पिछले साल दिसम्बर माह में रालामंडल सेंचुरी से निकले तेंदुएं ने लिंबोदी स्थित रानीबाग जैसे रिहायसी क्षेत्र में काफी आंतक मचाया था। जिसे वन विभाग की टीम ने दो दिनों तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन में बेहोश कर पकड़ा था। इसी तरह 10 मार्च 2018 में पल्हर नगर में घुसे एक तेंदुए ने घंटों उत्पाद मचाया जिससे नगर के लोग घरों में दुबकने को मजबूर हो गए थे। वन विभाग ने कड़ी मेहनत के बाद इस पर काबू पाया था। इसी तरह सांवेर रोड की एक फैक्ट्री में घुसे तेंदुए को पकडऩे में वन विभाग को काफी मश्कत करनी पड़ी थी।
मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा तेंदुए
वन्य जीवों के संरक्षण में मध्य प्रदेश सबसे आगे हैं। यहां पर तेंदुएं की संख्या इतनी अधिक है कि दूसरे राज्य इसके करीब भी नहीं पहुंच पा रहे हैं। पिछले गणना के अनुसार केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण विभाग द्वारा बताया गया कि 3 हजार 421 तेंदुए मध्य प्रदेश में पाए जाते हैं। जबकि इंदौर में दो दर्जन से ज्यादा तेंदुए पिछली गणना में पाए गए थे।

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