खसरे के रिकॉर्ड से हटेंगे मौरूषी कृषक,दर शिकमी व बेवा जैसे 48 शब्द
4.56 करोड़ खसरों से 48 शब्दों को हटाएंगे 52 जिलों के कलेक्टर, 150 एडीएम, 225 एसडीएम व 424 तहसीलदार
इंदौर (धर्मेन्द्रसिंह चौहान)। लम्बे समय से राजस्व विभाग के कागजों में दर्ज होने वाले प्रचलित नामों को अब ऑपरेशन शुद्धिकरण के तहत हटाया जा रहा हैं। प्रदेश के सभी जिलों के राजस्व विभाग में चल रहे इस अभियान में 48 अटपटे शब्दों को राजस्व विभाग के रिकॉर्ड से हटाने की मुहिम 1 नवम्बर को शुरू हो चुकी है। 15 नवम्बर तक चलने वाली इस मुहिम में 52 जिलों के कलेक्टर, 150 एडीएम, 225 एसडीएम के साथ 424 तहसीलदारों को लगाया गया हैं।
प्रदेश के राजस्व विभाग में 48 अटपटे शब्दों को हटाने के साथ ही अन्य खामियों को दूर करने के लिए 12 बिंदूओं को चिन्हित किया गया है। राजस्व आयुक्त ज्ञानेश्वर वी. पाटिल ने बताया कि राजस्व विभाग में 48 ऐसे शब्दों का चयन किया गया हैं जो अपने आप में अजीब है। इन शब्दों के साथ ही बाकी शब्दों और खामियों को पहचानकर उनकी लिस्ट बनाने के लिए प्रदेश के अधिकारियों को आदेश दिए हैं। 1 से 15 नवम्बर तक इन सभी खामियों को सुधारने के लिए पूरे प्रदेश में वृहद स्तर पर रिकॉर्ड शुद्धिकरण अभियान चलाया जा रहा है। इन्हीं सुधारों को कम्प्यूटर रिकॉर्ड में भी किया जाएगा, ताकि आगे से इनकी वजह से लोगों को किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत न हो। इसके अलावा फौती नामांतरण यानी भू-स्वामी की मृत्यु के बाद भी उसका नामांतरण नही हुआ है तो उसके वारिस को ढूंढकर नामांतरण किया जाएगा। खसरा, रकबा और नक्शे की खामियां सुधारी जाएगी। साथ ही खसरा क्षेत्रफल का सुधार भी किया जाएगा। राजस्व आयुक्त के निर्देशानुसार 30 अक्टूबर तक स्व संज्ञान से इस तरह की खामियों की पूरी लिस्ट बनाने के साथ ही जमीन संबंधी कागजों में किसी भी प्रकार गलतियों को सुधरवाने के लिए आवेदन मांगवाकर 1 से 15 नवम्बर के बीच रिकॉर्ड शुद्धिकरण अभियान के दौरान सुधारें जाएंगे। देखा जाए तो नवम्बर का महीना मध्य प्रदेश के राजस्व रिकॉर्ड में सुधार के लिए अहम होगा। रिकॉर्ड शुद्धिकरण अभियान के तहत प्रदेश भर के 52 जिलों के कलेक्टर 150 एडीएम, 225 एसडीएम के साथ ही 424 तहसीलदारों द्वारा इस कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। अभियान के तहत खसरों में दर्ज अल्फा-न्यूमेरिक गलतियां सुधारी जाएगी। इसके लिए प्रदेशभर के 52 जिलों की 423 तहसीलों में जमीन के चार करोड़ 56 लाख 36 हजार 422 खसरों में दर्ज अटपटे नामों को हटाया जा रहा हैं।
11 प्रमुख अटपटे शब्दों का होगा शुद्धिकरण
इन शब्दों का होगा सुधार (1) फौती नामांतरण, (2) खसरा, रकबा और नक्शा संबंधी त्रुटियों का सुधार, (3) व्यपवर्तन डाटा एंट्री, (4)डाटा परिमार्जन, (5)खातरा क्षेत्रफल सुधार, (6)रिक्त भूमि स्वामी, (7)सक्रिय मूल एवं बटांक खसरा, (8)मिसिंग खसरा, (9)भूमि प्रकार एवं भूमि स्वामी प्रकार संशोधन, (10)अल्फा न्यूमेरिक खसरा सुधार, (11) नक्शा, तरमीम जैस अटपटे शब्दों को सुधारा जा रहा हैं।
खसरों के रिकॉर्ड में दर्ज अटपटे शब्द
भू-स्वामी की बड़ी बहू, छोटी बहू, मंझले भैया, मौरूषी कृषक, दर शिकमी, शिकमी, वक्फ डिपार्टमेंट, ट्रस्ट, धार्मिक स्थान जैसे शब्दों को हटाने के साथ ही इमें से कुछ ऐसे शब्द जिन्हें दूसरे क्षेत्र के लोग समझ नहीं पाते हैं (जो स्थानीय बोली के होते हैं) भूमि संबंधित दस्तावेज में राजस्व अधिकारी विधवा महिलाओं के लिए बेवा शब्द दर्ज कर रहे हैं जबकि इस शब्द को 1995 में ही हटाया जा चुका हैं। इसके साथ ही अन्य सभी अटपटे शब्दों को हटाया जाएगा।