पेट्रोल-डीजल के बड़े दामों से तबाह होने लगा ट्रांसपोर्ट कारोबार

ट्रक मालिकों का निकला दीवाला,कैसे मनाए दीवाली

इंदौर (धर्मेन्द्रसिंह चौहान)।
बढ़ते पेट्रोल-डीजल के दामों ने ट्रांसपोर्ट व्यवसाय को चौपट कर दिया हैं। जिससे ट्रक मालिकों का दीवाला निकलने लगा हैं, ट्रक व्यवसाय बंद होने की कगार पर खड़ा हो गया है। आमदानी नहीं होने से ट्रक मालिकों को घर चलाना तो दूर बैंकों की किश्त निकालना भी मुश्किल हो रहा है। ऐसे में ट्रक व्यवसाय से जुड़े अन्य लोगों की आर्थिक स्थिति अब बिगड़ने लगी है। पेट्रोल-डीजल की बढ़़ती किमतों ने ट्रक व्यवसाय को पूरी तरह चौपट कर दिया है। इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए ट्रक मालिकों अपने ट्रक औने-पौने भाव में बैचने को मजबूर हो रहे हैं। दूसरी ओर महंगे डीजल से लगातार घाटे के चलते छह हजार ट्रक सड़कों पर खड़े हो गये हैं। इनके परमिट भी सरेंडर हो रहे हैं।
पेट्रोल-डीजल के बड़ते भावों ने ट्रक मालिकों को ट्रक बेचने पर मजबूर कर दिया है। दोपहर टीम ने शहर के ट्रक मालिकों से बात की तो उनका दर्द झलक आया। ट्रक मालिक फारूख खान ओर कोमल सिंह राजावत ने बताया कि एक दस चक्का ट्रक अगर 1000 किलोमीटर चलता हैं तो उसमें 350 लीटर डीजल लगता हैं, जो लगभग 38,500 का होता हैं। 7 हजार रूपए का टोल, 5 हजार का बार्डर टैक्स, दो आदमी की सैलरी लगभग 20 हजार लग ही जाता है। इसके अलावा खाने-पीने के साथ ही अन्य खर्च भी लगे होते हैं जो मालूम ही नहीं पड़ते की यह भी उठाने पड़ेंगे। एक 10 चक्का ट्रक में माल भराता हैं 19 टन, जिसका अनुमानित भाड़ा होता है, 60 हजार। 1000 किलोमीटर दूर डिलेवरी देने के लिए डीजल लगेगा 350 लीटर जो होता हैं 38 हजार 500 रूपए का। टोल टैक्स 7 हजार रूपए, बार्डर टैक्स 5 हजार रूपए, इसके अलावा ड्रायवर और क्लिनर की सैलरी व अन्य खर्च 20 हजार रूपए लगभग। यही सब मिलाकर हो जाते हैं 70 हजार 500 रूपए खर्च हो जाता हैं। 60 हजार के भाड़े में 70 हजार 500 रूपए खर्च हो रहे हैं। ऐसे मेें ट्रक मालिक खुद को ही ड्रायवरी करना पड़ रही है। ट्रक भरने के लिए एक ही जगह माल भी उपलब्ध नहीं होता हैं, अलग-अलग जगह माल भरने में ही दो से तीन दिन लग जाते हैं। इसी तरह ट्रक खाली करने के लिए भी तीन से चार जगह पर जाना होता है। जिससे समय ज्यादा लगने लगा है। ऐसे में एक माह में एक ट्रक दो से ज्यादा ट्रीप भी नहीं लगा पाता हैं। इसी तरह ट्रक व्यवसाय से जुड़े अन्य व्यवसाय भी इन दिनों भारी मंदी के दौर से गुजर रहे हैं। वहीं शहर में मल्टीएक्सल ट्रक के मालिकों का कहना है कि अब ट्रांसपोर्ट क्षेत्र महंगे डीजल से कामकाज नहीं कर पायेगा क्योंकि बीस टन लोड के लिए माल मिलना असंभव हो गया है ऐसे में पंद्रह टन तक की माल भरकर किराया मिल रहा है जिसके कारण भयानक घाटा हो रहा है। ऐसे में कई ट्रक संचालक के ट्रक बैंकों में जब्त होने की स्थिति में पहुंच चुके हैं।
स्टाफ कम कर दिया
बायपास स्थित ढाबा संचालक सत्यनारायण धाकड़ ने बताया कि बढ़ते पेट्रोल-डीजल के दामों ने सिर्फ ट्रक मालिक ही नहीं ढाबे के व्यवसाय को भी चौपट कर दिया। देश भर के बाय-पास से लगे ढाबों को रौकन इन दिनों खत्म हो गई है। डीजल के दामों ने ट्रकों की चाल ही रोक दी है। जिससे ढाबा व्यवसाय बहुत प्रभावित हो रहा हैं। आमदनी कम और खर्च ज्यादा होने से स्टाफ में कमी करना मजबूरी हो गया है।
घर चलाना मुश्किल
बड़े वाहनों के पंचर बनाने के लिए भी अलग तकनिक की जरूरत होती है। ऐसा काम सिर्फ पुश्तेनी कारीगर ही कर सकते हैं। यह कहना है आलाउद्दीन का इनकी भी बाय-पास पर पंचर बनाने की बड़ी दुकान हैं। दो साल पहले इनका गल्ला 1 से 2 हजार रूपए रोज का होता था, मगर इन दिनों 5 से 7 सौ रूपए का भी नहीं हो रहा हैं। ऐसे में दुकान का किराया देना तो दूर घर चलाना भी मुश्किल हो गया है।

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