मिलावट का खौफ-मावे की बजाय गैर मावे की मिठाइयों को ज्यादा तवज्जो देने लगे हैं खरीददार
स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता, परंपरागत मिठाई की तरफ लोगों का झुकाव
इंदौर। अब त्योहारों पर वैसी बड़ी मात्रा में मिठाइयां नहीं बिकती जैसी कि पहले बिका करती थी इसलिए सात ,8, सालों में मावे की मिठाई की बजाय परंपरागत मिठाइयों जो की गैर मावे से तैयार होती है उसकी खपत लगातार बढ़ती जा रही है और कारपोरेट सेक्टर में तो मावे को अवॉइड ही किया जाने लगा है। कई छोटे बड़े संस्थान तो अपने कर्मचारियों को सोहन पपड़ी या बेसन के लड्डू ही इनाम उपहार के साथ प्रदान करते हैं, भेंट करते हैं।
जैसा कि सभी जानते हैं राखी और दीपावली दो ऐसे त्यौहार है जब सबसे ज्यादा मिठाई की खपत होती है। लेकिन पिछले कुछ सालों में बढ़ती हुई मिलावट की घटनाओं को मददेनजर रखते हुए लोगों ने अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता दिखाते हुए त्यौहार के मौके पर मावे से बनी हुई मिठाइयों को अवॉइड करना शुरू कर दिया है। मिठाई बाजार और मावा विक्रेताओं से इस संदर्भ में जब चर्चा की गई तो अलग-अलग प्रकार की चौंकाने वाली और बड़ी दिलचस्प जानकारियां मिली। एक मिठाई विक्रेता ने बताया कि दीपावली पर अभी भी बड़े पैमाने पर मिठाईयां बिकती है और लोग दिल खोलकर खरीदते हैं लेकिन पिछले कुछ पांच सात वर्षों से मावे की मिठाइयां कम बिक रही है और गैर मावे की परंपरागत मिठाइयां की खपत और उठाव ज्यादा हो रहा है। स्वास्थ्य के प्रति लोगों की जागरूकता अब ज्यादा बढ़ने लगी है। लोग नहीं चाहते कि मिलावटी वस्तुओं का उपयोग कर उनकी जान जोखिम में डाले या स्वास्थ्य खराब करें इसलिए लोगों ने राखी दीपावली जैसे त्यौहार जबकि बड़े पैमाने पर मिठाइयों की मांग भी रहती है और खपत भी होती है मिठाइयों का उपयोग लगातार कम कर दिया है और करते जा रहे हैं।
हालात के साथ समझौता किया मिठाई विक्रेताओं ने
इधर लगभग दर्जनभर मिठाई विक्रेताओं से अलग-अलग चर्चा की गई तो मिठाई विक्रेताओं का कहना था कि बढ़ती हुई महंगाई ने कहीं ना कहीं जिन धंधों को प्रभावित किया है उसमें मिठाई बाजार भी है अब लोगों की टैंक कैपेसिटी भी कम हो गई है और खरीदी क्षमता, भी कम होती जा रही है पहले लोग त्योहारों के अवसर पर विभिन्न प्रकार की वैरायटी उन्हें मिठाइयां खरीदते थे लेकिन आप फॉर्मल रूप से मिठाई खरीद रहे हैं वह भी कम मात्रा में। फिर समाचार पत्रों टेलीविजन आदि पर दीपावली के समय अन्य प्रदेशों में मिलावटी मावे से संबंधित समाचारों को देखकर लोग मावे की मिठाई खरीदने से विधायक रहे हैं परहेज करते हैं और वे गेर मावे की मिठाइयां ज्यादा खरीदते हैं उसमें भी अब सृष्टि मिठाइयों पर उनका ध्यान ज्यादा है। एक समय था जब दीपावली के अवसर पर बंगाली मिठाइयों की अच्छी मांग भी हुआ करती थी और खबर भी होती थी लेकिन आप लोग बंगाली मिठाईयां भी नहीं खरीदते हैं। बदले हुए हालात और परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए मिठाई विक्रेताओं ने भी जैसी मांग वैसी मिठाइयों को बनाना शुरू कर दिया है।
बेसन के लड्डू सोहन पपड़ी मक्खन बड़े की मांग बढ़ी
दीपावली के अवसर पर अब मावे की जितनी मिठाईयां बिकती है उससे ज्यादा गैर मावे की मिठाइयां बिकने लगी है। एक अन्य मिठाई विक्रेता ने बताया कि अब दीपावली पर उनके पास सोहन पपड़ी मोतीचूर के लड्डू मुक्ति के लड्डू मक्खन बड़े बेसन चक्की बेसन के लड्डू रवा बेसन ड्राई फूड्स चारोली के लड्डू की मांग आती है और हम भी कारपोरेट सेक्टर सहित हमारे बड़े ग्राहक को अब मिठाइयों की लिस्ट विकल्प के रूप में उपलब्ध करवाने लगे हैं और कारपोरेट सेक्टर के हमारे बड़े ग्राहक जिस प्रकार की मिठाइयों की डिमांड करते हैं और आर्डर देते हैं वैसा ही माल हम तैयार करवा देते हैं।बाकी देखने में आ रहा है कि अब त्योहार के अवसर पर मावे की मिठाइयों का उपयोग लगातार कम होता जा रहा है।