आरटीओ में बाबू ओर होमगार्ड के जवान ले रहे ट्रायल
इंदौर। इंदौर आरटीओ में इन दिनों नियमों का ध्यान नही रखा जा रहा है। कैमरे के सामने ही आरटीओ के बाबू ओर होमगार्ड के जवान यह आने वाले दो पहिया वाहन की ट्रायल ले रहे है। साथ ही यहां पर चार पहिया टेस्ट ड्राइव के लिए आने वाले आवेदकों से यहां दलाल नॉनकमर्शियल वाहनों के द्वारा 200 से 400 रुपए तक में ट्रायल दिलवा रहे है। जिससे आरटीओ को रोजाना हजारों रुपए के राजस्व की हानि हो रही है। इन दिनों आरटीओ ऑफिस में अधिकारी नदारद ही रहते है जिससे बाबुओं के भरोसे चल रहा है कार्यालय।
परिवहन विभाग कार्यालय में अधिकारियों के सामने ही आरटीओ के बाबू अंकित चिंतामन ओर होमगार्ड के जवान गणेश चौहान द्वारा दो पहिया वाहन चालकों की ट्रायल ले रहे है। वही नियमों को दरकिनार कर चार पहिया ड्रायविंग लायसेंस के लिए आने वाले आवेदकों से नॉनकमर्शियल वाहनों द्वारा ट्रायल करवाई जा रही है। नियमानुसार कमर्शियल वाहनों की नम्बर प्लेट पीली होनी चाहिए। जबकि यहां ऐसा नहीं हो रहा है। नियम अनुसार जो वाहन व्यवसायीक रुप से काम करते हैं वह कमर्शियल वाहन की गिनती में आते है। जिनकी नम्बर प्लेट पीले रंग की होती है। जबकि नॉनकमर्शियल वाहनों की नम्बर प्लेट सफेद रंग की होती है। इसमें वाहन मालिक को ज्यादा पैसों का भुगतान करना होता है। पैसे बचाने के लिए इन ?वाहनों का रजिस्ट्रेशन कमर्शियल वाहनों में नहीं किया जाता है। क्योंकि कमर्शियल वाहनों का बीमा और रजिस्ट्रेशन महंगा है। ट्रायल के लिए आने वाले ज्यादातर आवेदक स्वयं के वाहन नही ला पाते है। ऐसे में एजेंटों द्वारा नॉनकमर्शियल वाहन उपलब्ध करवा दिए जाते है। जिससे परिवहन विभाग को राजस्व की हानि तो हो ही रही हैं साथ ही बीमा कंपनियों को भी उतना पैसा नहीं मिल पाता जितना उन्हें मिलना चाहिए।
हेलमेट भी नहीं लाते आवेदक
ज्यादातर दो पहिया वाहन चालकों को यह भी पता नहीं होता है कि ट्रायल के दौरान हेलमेट अनिवार्य है। ऐसे में वह एक दूसरे से हेलमेट मांग लेते है। किसी के नहीं देने पर दलाल खुद उन्हें हेलमेट की व्यवस्था करवाकर देते है। जबकि शहर में बगैर हेलमेट के वाहन चलाने पर चालानी कार्यवाही की जाती है।
विभाग नहीं करवाता वाहन की व्यवस्था
आवेदक चार पहिया या दो पहिया एक ही वाहन ला पाते है। ऐसे में आवेदक की मजबूरी हो जाती है कि उन्हें दूसरा वाहन उन्हें हायर करना ही पड़ता है। परिवहन विभाग की तरफ से ट्रायल के लिए किसी भी वाहन की व्यवस्था नहीं करवाई जाती है। जिसका पूरा-पूरा फायदा दलाल लोग उठाते है और विभाग को राजस्व का चूना लगाते है।