डायरियों पर चालीस लाख वर्गफीट माल बेच चुके हैं शहर के माफिया

600 करोड़ रुपया डायरियों पर ही एकत्र हो चुका, नक्शे भी बाजार में घूम रहे हैं

इंदौर। शहर में जमीनों के जादूगरों ने पिछले दो माह में भी ६०० करोड़ रुपए का ४० लाख वर्गफीट माल डायरियों पर बेच खाया है। अपने आप को सफेद पोश कारोबारी बताने वाले तमाम भूमाफिया इस खेल में जमकर कुदे हैं। नामी गिरामी बिल्डरों ने बकायदा नक्शे बनाकर शहर में डायरियों पर प्लाट बेचे हैं। इनमे से चार स्थान ऐसे हैं जहां पर केवल किसानों से एग्रीमेंट होने के बाद कोई राशि नहीं दी है। दूसरी ओर किसानों ने जमीनों के भाव बड़ा दिये हैं। अब यहां विवाद होने के कारण डायरियों पर प्लाट खरीदने वाले लोगों को खाली हाथ ही रहना होगा। इन डायरियों पर जिनके हस्ताक्षर है उनका कोई वजूद नहीं है। २०० करोड़ से ज्यादा की डायरियों का खेल रेडिमेड काम्पलेक्स में रेडिमेड का कारोबार करने वाले संजय मालानी और उमेश डेमला ने किया है। दूसरी ओर डायरियों पर ही फिर से जमीन बेच रहे संजय दासौद को कलेक्टर ने नोटिस देकर पुरानी कॉलोनी जो वर्षों से विकसित नहीं हुई है छह माह में विकसित करके प्लाट देने को कहा है। अभी तक यहां काम शुरु नहीं हुआ है। वहीं संजय दासौद अब कनाड़ियां पर एक बार फिर डायरियों का कामकाज शुरु कर चुके हैं। इधर अशोक ऐरन और महेंद्र अग्रवाल कनाड़िया रोड़ पर आठ लाख फीट माल डायरियों पर बेच चुके हैं। दस से अधिक जमीनों पर बकायदा नक्शे बनाकर डायरियों पर बुकिंग पूरी हो चुकी है। दो जगहों पर नक्शे में पूरी तरह प्लाट काटे गये हैं। बगीचे की जगह भी नहीं छोड़ी गई है।

शहर में कोरोना काल के बाद जमीनों के कारोबार में आये बूम के बाद शहर के नामी गिरामी बिल्डरों ने एक बार फिर जोरदार तरीके सेडायरियों का खेल फिर से शुरु कर दिया है। जबकि पहले से ही शहर में पचास हजार से अधिक डायरियां घूम रही हैं जिनपर प्लाट नहीं मिल पा रहे हैं। इसमे आशीष दास की पिनेकल भी शामिल है। साहुखेड़ी में २०० बीघा जमीन पर डायरियों से प्लाट बेचे जा चुके हैं। वहीं हिंगोनिया और झलारिया में नाहटा कालेज के पास पांच लाख फीट माल बेचा जा चुका है। शिशुकुंज के पास चार लाख फीट माल बकायदा नक्शा बनाकर बेचा गया है। महेंद्र अग्रवाल और बीसीएम हाईट्स के दो कॉलोनियों में बुकिंग का पूरा काम डायरियों पर रेडिमेड व्यापारी संजय मालानी और उमेश डेमला के माध्यम से ही किया गया है। लगभग २०० करोड़ रुपए से ज्यादा का कामकाज तीन जगह परडायरियों में ही हुआ है। साहूखेड़ी में नक्शेपर खाली जमीन ही नहीं छोड़ी गई है। जबकि हिंगोनिया और झलारियां में बीसीएम हाइट्स के नवीन मेहता और अरुण मेहता के साथ जवेरी और गांधी की पार्टनशिप में पांच लाख फीट माल डायरियों पर बेचा जा चुका है। वहीं चावला और चूग के अलावा भूपेश व्यास भी डायरियों पर ही माल बेच चुके हैं। कुल मिलाकर बिना टीएनसी और विकास अनुमति के ही बाजार से ६०० करोड़ से ज्यादा रुपया समेटा जा चुका है। दूसरी ओर बायपास पर किसानों से अनुबंध के आधार पर ही कुछ लोगों ने डायरियों पर ही बड़ा खेल शुरु कर दिया है। इस समय सुपर कॉरिडोर और बायपास पर अभी भी बकायदा डायरियों पर ही प्लाट बेचे जा रहे हैं।

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