1 लाख डिफाल्टरों में बैंकों के इंदौर में 1 खरब रु. उलझे
गृह ऋण लेने वाले किश्तें भरने से कर रहे हैं इंकार, डिफाल्टरों की संख्या भयावह हुई
इंदौर। कोरोना महामारी में बड़ी तादाद में लोगों की नौकरियों पर आए असर के बाद इसका साइड इफेक्ट बैंकों में दिखने लगा है। इंदौर में 80 हजार से ज्यादा हाऊसिंग लोन के लोग डिफाल्टर हो गए। लगभग सभी बैंकों में अब डिफाल्टरों की सूची तेजी से बढ़ रही है। सबसे ज्यादा एसबीआई में हो गए हैं, इंदौर में डिफाल्टर होने वालों में बायपास और सुपर कॉरिडोर पर मकान, प्लाट और फ्लैट खरीदने वाले सबसे ज्यादा है। बैंकों के लगातार सूचना के बाद भी लोग किश्तें भरने के लिए तैयार नहीं हो पा रहे हैं। पहली बार इंदौर में हाऊसिंग लोन के इतने डिफाल्टर मिले हैं। किश्तें भरने के लिए फोन करने वाली एजेंसी भी कह रही है कि नौकरी चली जाने और वेतन कम होने के कारण कई लोग अब थक चुके हैं, कह रहे हैं हम नहीं भर पाएंगे, जो भरा है, उसका आधा भी दे दो, तो मेहरबानी होगी।
पिछले 7 दिनों से शहर के विभिन्न क्षेत्रों में बैंकों द्वारा जारी किए गए हाऊसिंग लोन के डिफाल्टरों की लंबी सूची अखबारों में प्रकाशित हो रही है। पहली बार यह फैहरिश्त एक बार में ही 100 से अधिक लोगों की दिखाई दे रही है। इसके अलावा कई फायनेंस सर्विस देने वाली एजेंसियां भी मकानों की नीलामी में लग गई है। 12 लाख से लेकर 20 तक की संपत्ति खरीदने वाले सबसे ज्यादा डिफाल्टर बने हैं। यह सभी मध्यमवर्गीय परिवारों के लोग है। बैंक अधिकारियों का कहना है कि कई लोग जो 40 हजार से अधिक वेतन पर कोरोना के पहले काम कर रहे थे, अब उनका वेतन घटकर 25 हजार के लगभग हो जाने के कारण वे अपने आपको किश्तें भरने में सक्षम नहीं पा रह हैं। इंडियन ओवरसीज बैंक के एक अधिकारी ने कहा कि हालत यह हो गई है कि 500 वर्गफीट के मकान की किश्त भी नहीं भरी जा रही है। दीपावली के पहले एक लाख से ज्यादा डिफाल्टर बैंकों में होना तय है। एसबीआई और यूको बैंक के अलावा सभी बैंक विज्ञापन जारी कर भौतिक कब्जा लेने की सूचना भी साथ में जारी कर रही है। आईआईएफएल होम फायनेंस लिमिटेड के अधिकारी बोल रहे हैं कि उनके द्वारा बायपास पर दिए गए सभी ऋण डिफाल्टर हो चुके हैं। यूको बैंक के अलावा सेंचुरियन होम लोन, स्पायर होम फायनेंस, कार्पोरेशन, एसआरजी हाऊसिंग फायनेंस, आदित्य बिड़ला केपिटल जैसी ऋण देने वाली संस्थाओं के सर्वाधिक डिफाल्टर हो गए हैं। यूको बैंक के अधिकारी भी कह रहे हैं कि इन डिफाल्टरों के कारण बैंकों का इंदौर में ही 1 लाख करोड़ रुपया उलझता हुआ दिखाई दे रहा है। बैंक आफ इंडिया के एक अधिकारी ने माना कि शहर में उन्होंने बड़ी दुकानें खरीदने के लिए कारोबारियों को ऋण दिए थे, जिनकी किश्ते 50 हजार से 1 लाख रुपए महीना थी, सभी डिफाल्टर हो गए हैं। दूसरी ओर अब इन संपत्तियों को बेचने में भी बैंकों को लंबा समय लगेगा। दूसरी ओर बैंकों में इन दिनों हाऊसिंग लोन लेने वाले नए लोगों का क्रम भी कोरोना के बाद 60 प्रतिशत गिर गया है।
किराया हो गया आधा
जिन लोगों ने दुकानें खरीदकर किराये पर अपना कामकाज चलाने के लिए व्यवस्था की थी, उनकी कमर भी टूट रही है। कोरोना के पहले जो दुकान 50 हजार महीने के लगभग किराये पर थी, वह अब 25 हजार रुपए में वापस किराये पर उठ रही है। इनकी संख्या भी कम है। बाजार में लोगों को भय है कि यदि तीसरी लहर वापस आई तो किराये की मार बुरी होगी।
बाजार में हजारों दुकानें खाली
शहर को कोरोना की मार के बाद खड़ा होने में कई दिक्कतें सामने आ रही है। होटल, उद्योग से जुड़े शहर में 50 हजार दुकानें अब वापस नहीं खुली है तो बड़े शोरूम जो 2 हजार वर्गफीट के थे, वे भी वापस लेने कोई नहीं आ रहा है। एबी रोड और पलासिया पर जहां सबसे ज्यादा कार्यालय और दुकानों की मांग थी, यहां भी अब बड़ी तादाद में कमरे खाली पड़े हैं। शोरूम तो कोई लेने ही नहीं आ रहा है।
मोटर सायकल और टैक्सी के डिफाल्टर भी भरपूर
बैंक के एक बड़े अधिकारी ने कहा कि इस समय हाऊसिंग लोन के बराबर ही मोटर सायकल और टैक्सी खरीदकर कामकाज करने वाले भी बड़े डिफाल्टर हो गए हैं। किश्तों की चूक और उस पर लगने वाले ब्याज में वे अब डिफाल्टर बने ही रहेंगे। चूक की किश्तें ठीक करने में ही उन्हें दो साल लग जाएंगे।
सर्वाधिक मार निम्न-मध्यमवर्गीय परिवारों पर
बैंकों में डिफाल्टर की सूची में सबसे ज्यादा प्रभावित वे हुए है, जो 15 हजार से 20 हजार तक वेतन पाते थे और 12 से 15 लाख रुपए के लोन 30 साल के लिए लेकर मकान की चाह रख रहे थे। ऐसे 90 प्रतिशत डिफाल्टर अब नए ब्याज की मार झेलने को तैयार नहीं है। इनमें एक बेडरूम और दो बेडरूम के फ्लैट खरीदने वाले सबसे ज्यादा डिफाल्टर हो गए हैं।