अरुण यादव के घोर विरोधी राजनारायण के साथ एक हो गए
कमलनाथ ने खंडवा में दिग्विजयसिंह को ही रणनीतिकार बनाया
इंदौर। अंतत: खंडवा में कांग्रेस के दावेदार माने जाने वाले अरुण यादव के अचानक पीछे खसकने को लेकर कांग्रेस में चल रही खींचतान ही प्रमुख कारण है। यहां पर क्षेत्र के दिग्गज नेता अरुण यादव से लंबे समय से मोर्चा ले रहे है। वे जानते है अरुण यादव की ताकत बढ़ने के बाद वे नई मुसीबत में उलझ जाएंगे। दूसरी ओर कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने तीन बार विधायक रह चुके राजनारायण सिंह पर भरोसा जताते हुए उनकी उम्मीदवारी घोषित कर दी है। इसके पीछे कमलनाथ की अपनी रणनीति है। वे जानते है कि अब यह सीट अरुण यादव का विरोध करने वाले नेताओं के लिए ही परीक्षा होगी। राजनारायण सिंह पूरी तरह दिग्विजयसिंह के करीबी है और तीनों नेताओं से उनका समन्वय अच्छा है। विजयलक्ष्मी साधौ, बाला बच्चन और रवि जोशी भी उनकी उम्मीद्वारी से प्रसन्न है।
ठाकुर राजनारायण सिंह अरुण यादव के प्रखर विरोध रहे है। उन्होंने कई बार मंचों पर अरुण यादव का विरोध भी किया है। कुछ जगहों पर उन्होंने भाजपा सांसद रहे नंदकुमारसिंह चौहान की प्रशंसा कर अरुण यादव को सकते में डाल दिया था। 2020 में मांधाता उपचुनाव में उनके पुत्र को कांग्रेस ने मैदान में उतारा था पर वे 21 हजार वोटों से हार गए थे। कमलनाथ ने अब खंडवा की सीट के लिए पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजयसिंह को रणनीतिकार बनाकर यह सीट सौंप दी है। राजनारायण सिंह दिग्विजयसिंह के कार्यकाल में भी विधायक रहे थे। दूसरी ओर भाजपा में संगठन के कद्दावर नेता रहे कृष्णमुरारी मोघे ने अपनी उम्मीदवारी को तय मानते हुए दस्तावेजी प्रक्रिया पूरी कर ली है। इशारा मिलते ही वे मैदान में होंगे तो वहीं भाजपा के बनाए गए पैनल में उनका नाम नहीं है। शिवराजसिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष भी यहां से हर्ष चौहान को ही मैदान में उतारने का लगभग मन बना चुके है। शिवराजसिंह चौहान इस सीट पर अपने विश्वसनीय को ही उतारना चाहते है ताकि वह दिल्ली में भी उनके साथ खड़ा हो। खंडवा का लोकसभा चुनाव मध्यप्रदेश सरकार ही लड़ने वाली है इसलिए इस चुनाव पर भाजपा की जीत लगभग तय है। जीत का अंतर भले ही कम हो सके।