बिना अनुमति उद्यान में लगे 35 साल पूराने 14 पेड़ काटे

निगम से कोई अनुमति नहीं ली, रहवासी संघ ने निगम पर आरोप लगाया

इंदौर। तुलसी नगर स्थित मंदिर प्रांगण से 14 पेड़ों को किड़े लगने के नाम पर काट दिए। इसके लिए नगर निगम से परमिशन भी नहीं ली। बावजूद इसके कटे हुए पेड़ों को निगम की गाड़ी उठा कर ले भी गई। रहवासियों ने इसका विरोध भी किया मगर पेड़ काटने वाली टीम ने किसी की न सुनी अब निगम के अधिकारी भी पूरे मामले को दबाने में लगे हुए हैं। क्षेत्र के जोनल अधिकारी चेतन पाटिल का कहना हैं कि मंदिर प्रांगण से पेड़ हमने नहीं काटे है, हम तो सिर्फ लकड़ियां उठा कर लाए हैं। वहीं निगम आयुक्त का कहना है कि मामला संज्ञान में आया हैं इसकी जांच करवाकर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
तुलसी नगर में गुरूवार की दोपहर में कुछ लोगों द्वारा वर्षों पूराने पेड़ों को काट दिया गया। आस-पास के लोगों ने जब पेड़ काटने वालों से पूछा की किसके कहने पर यह पेड काटे जा रहे हैं, तो उन्होंने राजेश तोमर का नाम लिया। दोपहर की टीम ने जब इस पूरे मामले में राजेश तोमर से बात की तो उनका कहना है कि पेडों में कीड़े लग गए थे। इसलिए उन्हेंं छटवाया गया, न की काटा गया। जबकि वास्तव में मंदिर प्रांगण में दर्जन भर 35 साल पूराने पेड़ों को पूरी तरह से काट दिया गया। नगर निगम के अधिकारियों का कहना हैं कि निगम से पेड़ काटने की अनुमति न तो मांगी गई हैं और न ही दी गई। जबकि मंदिर प्रांगण में स्थित यह 14 पेड़ बिजली लाईन की जद में भी नही आ रहे, और न ही मंदिर की इमारत को इनसे किसी प्रकार की क्षति हो रही थी। इतना ही नहीं यहां को कोई भी पेड़ जीवन और संपत्ति के लिए खतरा भी नहीं बन रहे थे। जबकि नियम अनुसार किसी भी पेड़ को काटने का आवेदन मिलने के 30 दिनों में पेड़ का निरीक्षण करने के बाद ही अनुमति देने या निरस्त करने का निर्णय लिया जाता हैं। शहर में पेड़ काटने या छाटने की प्रक्रिया के तहत नगर निगम से 100 रूपए प्रति आवेदन के साथ प्रोसेसिंग शुल्क के साथ आवेदन करना होता है। इसमें भूमि का विवरण जहां पेड़ खड़ा है, (स्थान के साथ नक्शे के साथ खसरा नं. प्लॉट नम्बर, वार्ड नं. दर्शाना अनिवार्य है। भूमि के स्वामित्व का सबूत या पट्टा दस्तावेज जिससे आवेदक के स्वामित्व के अधिकार की पुष्टी हो देना अनिवार्य हैं। इसके साथ ही पेड़ों की प्रजातियों का विवरण, ऊंचाई, परिधि, पेड़ की स्थिति (मजबूत, रोगग्रस्त, मृतप्राय:, मृत, क्षतिग्रस्त, हवा से गिरा, या किसी अन्य खासियत के साथ पूरा उल्लेख करना होता हैं। उपरोक्त किसी भी कारण के न पाए जाने पर पांच हजार रुपए का जुर्माने का प्रावधान भी है।

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