भारत में मुस्लिमों की आबादी घटना शुरू हिन्दुओं की आबादी भी बढ़ने से रुकी

मुस्लिम परिवारों में प्रजनन क्षमता 2 प्रतिशत, हिन्दुओं में 2.1 पर पहुंची

लंदन (बीबीसी)। भारत जहां चीन को आबादी के मामले में पछाड़कर अगले पांच सालों में आगे निकल जाएगा, वहीं भारत की आबादी को लेकर अमेरिका की एजेंसी प्यू रिसर्च ने दावा किया है कि भारत में मुस्लिमों की आबादी भी अब घट रही है। अध्ययन से पता चलता है कि सभी धर्मों के लोगों में प्रजनन दर में गिरावट आई है। सबसे ज्यादा आबादी वाले हिंदू और मुस्लिम की आबादी देश में 94 प्रतिशत है। छह प्रतिशत आबादी में सिख, जैन और ईसाई धर्म को माना गया है। 2015 में जहां मुस्लिम परिवारों में एक महिला पर 2.6 बच्चे होते थे, वे अब घटकर 2 प्रतिशत हो गए हैं तो वहीं हिंदू परिवारों में जहां एक महिला पर प्रजनन दर 3.3 थी, वह घटकर 2.1 रह गई है। बच्चे पैदा कम होने के पीछे बताया जा रहा है कि तेजी से महिलाओं में बढ़ रही शिक्षा के प्रति रुचि सबसे महत्वपूर्ण कारण है। आने वाले समय में दोनों ही आबादियों में महिलाओं की प्रजनन दर अब 2 प्रतिशत के आसपास ही रहेगी।
विश्व भर में आबादी को लेकर अध्ययन करने वाली प्यू रिसर्च सेंटर की वरिष्ठ अधिकारी स्टफनी ग्रैमर ने भारत की आबादी को लेकर उनके रिसर्च सेंटर द्वारा किए गए अध्ययन को लेकर बताया कि यह आंकड़े भारत की जनगणना और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के आंकड़ों को एकत्र करने के बाद की गई है। इसमें प्रत्येक प्रजाति के यहां जन्मने वाले बच्चों के आंकड़े भी एकत्रित किए जाते हैं। भारत में आबादी को लेकर आपने कहा कि अब यहां सभी धर्मों के लोग कम बच्चे पैदा कर रहे हैं। सबसे ज्यादा आबादी वाले हिंदू और मुसलमान की आबादी 94 प्रतिशत है, यानी 1.2 अरब लोग। इसके बाद ईसाई, जैन धर्म का हिस्सा 6 प्रतिशत है। 1947 में जहां भारत की आबादी 36 करोड़ थी, जो अब बढ़कर 120 करोड़ के बार हो गई है। 1947 में हिंदुओं की आबादी 30 करोड़ और मुस्लिमों की आबादी 3.5 करोड़ थी, जो अब बढ़कर 96.6 करोड़ और 17.2 करोड़ हो गई है। ईसाई समाज की आबादी भी अस्सी लाख से बढ़कर 2.8 करोड़ हो गई है। भारत में आबादी के मान से हिंदुओं की आबादी अभी भी 79.8 प्रतिशत और मुस्लिमों की आबादी 14.2 प्रतिशत है। 30 हजार नागरिक अपने आपको नास्तिक बताते हैं, जबकि कुल आबादी के 80 लाख लोग छह प्रमुख धर्मों में से किसी को भी नहीं मानते हैं। यहां 83 छोटे-बड़े धार्मिक समूह बने हुए हैं। दोनों ही आबादियों में महिलाओं की प्रजनन दर में लगातार गिरावट दर्ज हो रही है और सबसे ज्यादा जैन समाज में है। मुस्लिमों में महिलाओं की प्रजनन दर पहले 4.4 थी, जो बाद में 2015 में 2.6 होने के बाद अब 2 प्रतिशत के नीचे आ गई है। यही स्थिति हिंदू महिलाओं की भी है। उनकी प्रजनन दर 3.3 प्रतिशत से घटकर 2.1 प्रतिशत हो गई है। अब भारत में किसी भी महिला की प्रजनन दर 2.2 प्रतिशत ही हो गई है। देश में सिक्खों की कुल आबादी का 90 प्रतिशत केवल पंजाब में ही है। स्टफनी ग्रैमर का कहना है कि आबादी में गिरावट का मुख्य कारण देश में पिछले बीस बरसों में महिला शिक्षा को लेकर किए गए प्रयास के बाद सभी प्रजातियों की महिलाओं में ज्यादा बच्चों के पैदा करने को लेकर कोई रुचि नहीं है। केवल दोनों ही संप्रदाय में गरीब परिवारों की महिलाएं ही ज्यादा बच्चे पैदा कर रही हैं।

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