जालसाजी की हद, पुराने शराब ठेकेदारों की बैंक गारंटी पर ही चला रहे हैं नए शराब ठेके

 

इंदौर। एक ओर जहां शराब के ठेकों में बैंक गारंटी की जांच आज से प्रारंभ हुई है, वही आबकारी विभाग पिछली बार के ठेकेदारों की ही बैंक गारंटी को नए ठेकेदारों के बीच में चला रहा है। जबकि कंपनी के प्रोपायटर बदल चुके हैं। पिछली बार के ठेकों में घाटा होने के बाद कई ठेकेदार लापता हो गए थे, जबकि इस बार के ठेकों में भारी कमाई है। इसके बाद भी बैंक गारंटी में बड़ा खेल हो रहा है। एक बैंक गारंटी पर बैंक के अधिकारी को भी अलग से बड़ी राशि मिलती है। लाखों रुपए का खेल है बैंक गारंटी में। दूसरी ओर आफलाइन अहातों को लेकर भी आबकारी विभाग में ही करोड़ों का चूना ठेकेदार लगा रहे हैं। अभी तक इसकी जांच शुरू नहीं हुई है।
इस बार का ठेका कस्तूरी समूह के पास है। जबकि पिछली बार के ठेकेदार अखिलेश राय, बाबी भाटिया, मोनू भाटिया, के.एस. भाटिया इस बार कंपनी में शामिल नहीं है। पिछली बार इनके द्वारा दी गई बैंक गारंटी को ही इस बार भी नए प्रोपायटर खेल रहे हैं। जबकि बाणगंगा में जहरीली शराब कांड और चूड़ी कांड में मुँह काला कराने वाले थाना प्रभारी की लापरवाही के बाद शराब की दुकानों पर बिक्री में भारी इजाफा हुआ है। इधर इस बार के ठेकेदार कौन है, इसके बारे में आबकारी विभाग ने मौन धारण कर रखा है। बैंक गारंटी में हर १५ दिन में आबकारी विभाग में लायसेंस फीस जमा करना होती है और इसी बात की गारंटी बैंक द्वारा संपत्ति के आधार पर दी जाती है। मजेदार बात यह है कि इस बार के कंपनी के नए प्रोप्रायटरों ने कोई बैंक गारंटी अपने नाम से नहीं दी है। पुरानी बैंक गारंटी ही बैंकों में चल रही है। अब यदि नए ठेकेदार भाग भी जाए तो सरकार के पास वसूली का कोई साधन नहीं होगा। इनमें से किसी की भी बैंक गारंटी नहीं है। पिछले बार के ठेकेदारों की बैंक गारंटी ही बैंकों से चल रही है। डुप्लीकेट बैंक गारंटी देने के लिए ही बड़ा खेल होता है। वहीं दूसरी ओर विदेशी शराब के अहातों को लेकर दैनिक दोपहर में छपी खबर के अगले दिन ९ अहाते जो सतीश भाऊ के थे, वह सील कर दिए थे। जबकि अहाते दो प्रकार से दिए जा रहे हैं एक ऑनलाइन दूसरा आफलाइन। आनलाइन अहाते ठेके के साथ ही दो प्रतिशत लायसेंस फीस भरकर देने होते हैं, जबकि आफलाइन अहाते जिनमें सबसे ज्यादा खेल हो रहा है, यह शराब के दुकान के ठेकेदार की इच्छा पर होता है। वह चाहे तो अहाता नहीं चलाएगा। इसी को खेल बनाकर कई दुकानों के अहाते दस्तावेजों पर मौजूद नहीं है, परन्तु धड़ल्ले से अभी भी चल रहे हैं। इनमें करोड़ों रुपए की टैक्स चोरी तो हो ही रही है, दूसरी ओर शहर के कुख्यात गुंडे भी इसी अहातों से पैसा कमा रहे हैं। पिछले दिनों हुआ गोलीकांड भी इसी प्रकार के अहातों के कब्जे को लेकर था।

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