डीजल और महंगाई की मार ने मकानों के निर्माण की लागत तीस प्रतिशत तक बढ़ाई

रेती, गिट्टी, सीमेंट सहित सभी मटेरियल 20 प्रतिशत तक बढ़े

इंदौर। कोरोना महामारी के बाद निर्माण क्षेत्र में कामों को भले ही रफ्तार मिली हो, पर लागत इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि पहले एक हजार वर्गफीट के निर्माण पर जो राशि खर्च होती है, उस पर अब 775 फीट ही निर्माण हो सकता है। रेती से लेकर गिट्टी, सीमेंट, सरिया और लेबर सब में अच्छी-खासी वृद्धि हो गई है। तीन सौ रुपए की सीमेंट अब साढ़े तीन सौ के पार पहुंच गई है। मकानों में लगने वाले डेकोरेशन के सामान भी दस प्रतिशत तक महंगे हो गए हैं। इस मामले में रेती-गिट्टी सप्लायरों का कहना है कि डीजल की कीमतों में हुई वृद्धि का असर सीधे निर्माण पर पड़ रहा है।
शहर में अभी पचास हजार के लगभग छोटे-बड़े मकान बनने का काम शुरू हो चुका है। इनमें से कई ऐसे निर्माण हैं, जो आधे-अधूरे पड़े हुए थे। कोरोना के कारण इनका निर्माण बंद हो चुका था। अब नए सिरे से निर्माण होने पर लागत के साथ सामान की कीमतें भी पच्चीस प्रतिशत तक बढ़ गई हैं। सबसे ज्यादा मार ईंट और सरिए पर दिखाई दे रही है। रेती के ट्रक भी पैंसठ हजार रुपए के ऊपर पहुंच चुके हैं। निर्माण क्षेत्र में लगे ठेकेदार मान रहे हैं कि सामान की कीमतें बढ़ने का सबसे बड़ा कारण डीजल की मार है। हालत यह है कि लागत सामान्य कार्य में पच्चीस प्रतिशत तक और बेहतर कार्य में पैंतीस प्रतिशत तक बढ़ गई है। जो राज मिस्त्री पहले छह सौ रुपए में काम करते थे, वे अब साढ़े आठ सौ रुपए तक ले रहे हैं। मजदूरी भी पांच सौ रुपए प्रतिदिन तक पहुंच चुकी है। कुल मिलाकर मकानों की लागत का असर आम लोगों पर दिखाई दे रहा है। जो लोग पहले एक हजार फीट के निर्माण की तैयारी कर चुके थे, वे अब निर्माण को छोटा कर रहे हैं। उसी लागत में आठ सौ फीट तक ही निर्माण कर रहे हैं। ट्रक के भाड़े इतने ज्यादा हो गए हैं कि सामान की कीमत का पैंतीस प्रतिशत तक भाड़े में और मजदूरी में जा रहा है। इधर चीन से आने वाले मकान की सजावट के सामान में भी दस प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है।
प्लंबर का सामान दोगुने भाव में
प्लंबिंग मटेरियल और पीवीसी पाइप के अलावा अन्य सामान की कीमतों में तीस प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि मजदूरी पूरे काम पर पच्चीस से तीस प्रतिशत तक बढ़ गई है। टाइल्स एवं फ्लोरिंग के सामान में भी ट्रक भाड़े के कारण दस से पंद्रह प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है। एक हजार घनफुट के ही ट्रक रेती ला रहे हैं और इसीलिए 65 हजार रुपए ट्रक के लगभग ही आ रही है।
छह पहिए वाले ट्रक पूरी तरह बंद
ठेकेदारों का कहना है कि रेती और गिट्टी पर लगने वाली रायल्टी छोटे और बड़े ट्रक पर एक जैसी ही होती है, इसलिए अब छह पहिया ट्रक चलना पूरी तरह बंद हो गए हैं। उसकी जगह मल्टी एक्सल ट्रकों ने ले ली है।
मटेरियल की कीमतों में आ गया फर्क
सामान पहले अब
रेती 45 रु. घन फीट 55 से 60 रु. घनफीट
ईट 5200 से 7500 6500 से 8500
सरिया 42 से 44. रु. किलो 58 से 60 रु. किलो
सीमेंट 320 रुपए बोरी 350 रु. बोरी
गिट्टी 7500 रु (दस मीटर) 9000 रु. (दस मीटर)

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