प्राधिकरण ने अपनी ही जमीन पर अवैध निर्माण की एनओसी दी

बायपास के 650 अवैध निर्माणों की आंच एबी रोड तक आई

 

इंदौर। नगर निगम आयुक्त द्वारा बायपास के कंट्रोल एरिये में किए गए अवैध निर्माणों को हटाने को लेकर किए गए सर्वे के बाद नगर नियोजन विभाग (टीएंडपीसी) को 8 प्रकरणों का हवाला देते हुए पूछा है कि इनके नक्शे किस आधार पर पास होते हैं। इसमें सबसे आश्चर्य की बात यह है कि प्राधिकरण की योजना में शामिल जमीन के लिए भी प्राधिकरण ने ही एनओसी जारी करते हुए अवैध कालोनी में निर्माण की अनुमति देने का काम किया है। बायपास के 650 अवैध निर्माण तोड़ने को लेकर पिछले दिनों नपती के बाद नोटिस भी जारी किए गए हैं। इनमें प्रगति विहार सहित कुछ अन्य को पहले ही अवैध घोषित किया जा चुका है। न्याय विभाग कर्मचारी गृह निर्माण की जमीन पर भी टीएनसी ने अनुमति नियमों के विपरीत जाकर जारी की है। ग्राम खजरानी में राजेश पिता शकुनराज जैन का नक्शा पास होना सबसे बड़े आश्चर्य की बात है।
निगम आयुक्त द्वारा बायपास पर अवैध निर्माण हटाने को लेकर जारी किए गए नोटिस की आंच अब एबी रोड तक पहुंच गई है। यहां पर इंदौर विकास प्राधिकरण की ही जमीन पर खड़ी होटल श्रीमाया सैलिब्रिटी एबी रोड से लेकर रिंग रोड तक निकलने वाली मास्टर प्लान की प्रस्तावित सड़क पर खड़ी हुई है। यहां पर 2 एकड़ जमीन इंदौर विकास प्राधिकरण ने पहले ही अधिग्रहित कर रखी है। यहां पर अशोक भाई पटेल ने पोल फेक्ट्री के नाम पर 2 एकड़ जमीन प्राधिकरण से उद्योग के लिए छोड़ने को कहा था, वे पहले से ही यहां उद्योग चला रहे थे। इसके बाद उन्होंने यह जमीन इंदौर के बड़े जमीन के जादूगरों को बेच दी। इन जादूगरों ने 8-8 हजार स्क्वेयर फीट के अवैध भूखंड काटकर शहर के नामी दिग्गजों को बेच दी। जबकि जमीन पहले से ही प्राधिकरण अधिग्रहित कर चुका था। इसके बाद यहां की 2 एकड़ जमीन पर दूसरे और अन्य निर्माण के अलावा ग्राम छोटी खजरानी के इस भाग पर एसआरजे बेटरबिल्ड के प्रा. लि. के डायरेक्टर राजेश पिता शुकनराज जैन को प्राधिकरण ने जमीन अधिग्रहित होने के बाद भी नक्शा पास कराने के लिए मंजूरी दे दी। जबकि यहां किसी भी वैध कालोनी की रोड नहीं है और 50 फीट की एक रोड़ एमआईजी से रिंग रोड की तर्ज पर यहां से बनाई जानी थी। आश्चर्य की बात यह है कि प्राधिकरण ने अपनी ही जमीन पर कैसे एनओसी जारी कर दी। वहीं दूसरी ओर इस प्रकार के अन्य अभिन्यास में भी अनियमितताओं को लेकर यह चिट्ठी निगम आयुक्त की नगर नियोजन विभाग में पहुंच चुकी है। इस मामले में नगर नियोजन विभाग के संयुक्त संचालक एस.के. मुदगल का कहना है कि जो भी अभिन्यास मंजूर किए गए हैं, उनमें अनुमति लेने वालों में दस्तावेजों में कई तथ्यों को छुपाकर जानकारी ली होगी। प्राधिकरण ने भी एनओसी कैसे जारी की है, यह भी देखना होगा। यदि अभिन्यासों में कोई गलती पाई जाएगी तो उन्हें निरस्त भी किया जा सकता है। इधर गाडरा खेड़ी में बहुमंजिला के स्वीकृत नक्शे में उद्यान के लिए छोड़ी गई जमीन के लिए पेट्रोल पंप की स्वीकृति नगर निगम ने कैसे दे दी? यह भी आश्चर्य का विषय है। सबसे ज्यादा गड़बड़ियां बिचौली मर्दाना और बिचौली हप्सी में भी पाई गई है। नगर निगम अब दिग्गजों के अवैध निर्माणों को लेकर बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ की तैयारी भी कर रहा है।

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