ढाई लाख पंचायतों की जमीनों को बाजार में उतारने की तैयारी
6 लाख करोड़ की सरकारी संपत्ति की सेल लगने के बाद
नई दिल्ली (दोपहर आर्थिक डेस्क)। केंद्र सरकार देश के रेलवे स्टेशन से लेकर हवाई अड्डे, सड़कें सहित छह लाख करोड़ की सरकारी सम्पत्ति बाजार में उतारने के बाद अब देश की ढाई लाख से अधिक पंचायतों की खाली पड़ी भूमि को बेचकर या लीज पर देकर अरबों रुपए समेटने की तैयारी शुरू कर चुकी है। ग्राम पंचायतों को चमकदार बनाना इस अभियान का नाम है। सरकारी जमीनें स्कूल, अस्पताल, बिजलीघर, धर्मशाला सहित कई योजनाओं के लिए रोकी गई हैं। अब इन जमीनों को लेकर पंचायती राज मंत्रालय ने सोलह अगस्त को सभी राज्य सरकारों को यह एडवाइजरी जारी कर दी है। इसमें 71 विषयों पर पंचायतों में हर माह के प्रोग्राम तय किए गए हैं। इसमें अगस्त माह में ओएसआर कार्यक्रम शुरू करने के निर्देश दिए।
केंद्र सरकार बड़े पैमाने पर सरकारी सम्पत्तियों की नीलामी, हिस्सेदारी और लीज पर देकर पैसा एकत्र करने की तैयारी शुरू कर चुकी है। इस वित्त वर्ष में छह लाख करोड़ रुपए से ज्यादा एकत्र करने का लक्ष्य रखा गया है। दूसरी ओर अब केंद्र सरकार का दूसरा बड़ा अभियान ‘चलो गांव की ओरÓ शुरू होने जा रहा है। इसमें गांव की खाली पड़ी सरकारी जमीनों के लिए पंचायती राज मंत्रालय सचिव सुनील राज के हस्ताक्षर हैं, जिसमें ग्राम पंचायतों को अगस्त माह में मोनेटाइजेशन कार्यक्रम प्रारंभ करने को कहा है। मोनेटाइजेशन कार्यक्रम का मतलब सरकारी सम्पत्ति को बेचना, लीज पर देना या किराए पर देना शामिल है। पंचायती राज मंत्रालय ने सोलह अगस्त को जारी की इस एडवाइजरी में 71 विषयों पर ग्राम पंचायतों को तैयार करने को कहा है। इसमें प्रत्येक माह के कार्यक्रम तय हैं। अगस्त माह इस मोनेटाइजेशन कार्यक्रम के परिणाम अक्टूबर तक मिलने के लिए भी निर्देशित किया गया है। उल्लेखनीय है कि ग्राम पंचायतों पर हो रहे खर्च को लेकर वित्त आयोग अपनी आपत्ति पहले ही दर्ज करवा चुका है। आयोग का कहना है पंचायतें स्वावलंबी बनें। केंद्र सरकार की मदद के बिना अपने आपको तैयार करें। पंचायतों के पास आय के सीमित साधन होते हैं। उनका अस्सी प्रतिशत विकास केंद्र और राज्य के बजट पर निर्भर होता है। अब नए कार्यक्रम में ग्राम पंचायतों को चमकदार बनाया जाएगा। देश की दो लाख 55 हजार 366 पंचायतें केंद्र सरकार की योजना पर विचार कर अपनी सम्पत्ति बेचना शुरू करेंगी तो खरबों रुपए केंद्र सरकार को मिल जाएंगे।
वित्त आयोग देता है अनुदान
ग्राम पंचायतों को वित्त आयोग हर पांच साल के लिए बजट का प्रावधान करता है। चौदहवें वित्त आयोग में दो लाख करोड़ का प्रावधान किया गया था, जबकि पंद्रहवें वित्त आयोग में इसे 2021 से 2026 तक बढ़ाकर दो लाख छत्तीस हजार आठ सौ पांच करोड़ कर दिया गया था।
खाली जमीनों पर कई योजनाएं
ग्राम पंचायतों की खाली जमीनों पर अभी तक पंचायतों को स्कूल, धर्मशाला, बिजलीघर, अस्पताल के लिए आरक्षित करने के निर्देश थे, वहीं पंचायतें अपने भवन भी इन्हीं जमीनों पर बनाती हैं। अब यह जमीनें विनिवेश कार्यक्रम में उतारने को लेकर बड़ी तैयारी की गई है। यह समझ नहीं आ रहा है कि आखिर सरकार सब बेचकर क्या करना चाहती है।