पालकों पर महंगाई की एक ओर मार, कापी-किताबों की कीमतें चालीस प्रतिशत तक बढ़ी

कागज की कीमतें दुगुनी, प्रायवेट स्कूलों में चला रहे हैं अपनी किताबें

इंदौर। १ सितंबर से स्कूलों के खुलने के साथ ही अभी भी क्लास में पढ़ाई को पूरी रफ्तार नहीं मिली है। तो दूसरी ओर कागज के मूल्य में हुई भारी वृद्धि का असर स्कूली कापी किताबों पर भी दिख रहा है। नई कापियों के लिए कागज की भारी कमी बताई जा रही है तो दूसरी ओर कक्षाओं के लिए लगने वाले किताबों के सेट में भी पचास प्रतिशत तक की वृद्धि हो गई है। महामारी, बेरोजगारी और महंगाई के बीच यह पालकों पर एक ओर बड़ी मार पड़ने जा रही है। पिछले साल स्कूलों के नहीं खुलने के कारण कई जगहों पर कापियों और किबातों का स्टाक यथावत पड़ा रहा। इस बार इनमे से कुछ किताबे कोर्स के बाहर हो गई है तो दूसरी ओर अभी बाजार में कापी किताबों की मांग बढ़ाना शुरु नहीं हुई है पर कीमतें अच्छी खासी बढ़ गई हैं। दो वर्ष पहले २० रुपए की मिलने वाली कापी अब ३५ रुपए के लगभग पहुंच चुकी है। कापी बेचने वालों का कहना है कि कागज की कीमतें इस बार दुगुनी हो गई है।

कापियों की कीमतों में अपार वृद्धि
विगत दो वर्षों से तो स्कूलों का संचालन नहीं हो रहा था इसलिए कई बच्चों ने फेयर कापी ही नहीं बनाई और पिछली बार कापियों का विक्रय भी बड़े पैमाने पर नहीं हुआ था। लेकिन अब स्कूल खुलने के साथ ही रफ कापी और फेयर कापी की मांग बढ़ गई है और इस बार कागज की कीमतों में भी अपार वद्धि होने के कारण तथा ट्रांसर्पोटेशन, पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि और महंगी लेबर के कारण भी कापी की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हो गई है। लगभग २० प्रतिशत वृद्धि कागज की वजह से और २० प्रतिशत वृद्धि पेट्रोल, ट्रांसर्पोटेशन की वजह हो गई है। इस प्रकार एक तरह से कापियों की कीमत दो गुनी हो गई है। गत वर्ष ४२ पेज की कापी ७ और ८ रुपए में मिल रही थी जो कि अब १० से १२ रुपए में मिल रही है। इसी प्रकार फेयर कापी के लिए १५२ पेज की कापी २३ से २५ तथा १९२ पेज की कापी ३२ से ३५ रुपए में मिल रही है। इनकी कीमतों में भी ८ से १० रुपए की वृद्धि हुई है।

स्कूल प्रबंधन के निर्णय से पुस्तक विक्रेताओं को नुकसान
कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते लगभग सभी अभिभावक आर्थिक रुप से प्रभावित हुए। संस्थान बंद होने, नौकरी से भी छुट्टी होने के कारण कहीं न कहीं उन्हें वेतन विसंगति का भी शिकार होना पड़ा तो ये ऐसे अभिभावक स्कूलों में फीस भी नहीं भर पाये। हालांकि शासन ने इस मामले में स्पष्ट कर दिया था कि फीस को लेकर कोई अनावश्यक दबाव नहीं डालेगा और अभिभावकों को उनकी सुविधा अनुसार फीस भरने की छूट दी जाए। हालात को ध्यान में रखते हुए तमाम स्कूल प्रबंधन ने भी पालकों को राहत प्रदान करने का निर्णय लिया और उन्होंने विभिन्न कक्षाओं के छात्र छात्राएँ जिस कक्षा में पास होकर अगली कक्षा में पहुंच गये थे उनकी किताबे और फेयर कापियां जमा करवा ली तथा जिस क्लास में वह पहुंचे थे उस क्लास की किताबें और कापियां संबंधित कक्षा के छात्रा छात्राओं से जमा करवाकर और देकर पालकों को राहत प्रदान की। स्कूल प्रबंधन का यह निर्णय पुस्तक विक्रेताओं के लिए अच्छा साबितक नहीं हुआ और उनकी किताबे नहीं बिक पाई।

यूनिफार्म भी नहीं मिली तो अभी भी कई विषयों की किताबें स्कूलों में नहीं पहुंची
सरकारी स्कूलों में भी किताबों को लेकर संशय, पुराने छात्रों से मांगी किताबें
इंदौर। प्रायवेट स्कूलों के लिए स्कूल संचालक स्वयं ही अपनी ओर से पहली से आठवीं तक की किताबों का चयन कर रहे हैं और वे किताबें चुनिंदा दुकानों पर ही उपलब्ध हो रही है तो दूसरी ओर सरकारी स्कूलों में भी अभी कई कक्षाओं की किताबें नहीं आई है। लगभग हर कक्षा में दो से तीन विषयों की किताबों की कमी बनी हुई है। स्कूल के शिक्षक पुराने छात्रों से किताबे लेकर अभी नये छात्रों को उपलब्ध करवा रहे हैं। दूसरी ओर पहली से आठवीं तक के छात्रों को इस बार भी अभी तक यूनिफार्म नहीं मिल पाई है। जबकि ९ वीं से १२ वीं तक के छात्रों के लिए दो दो यूनिफार्म उपलब्ध हो गई है।
सरकारी स्कूलों में १ सितंबर से सत्र प्रारंभ होने के पहले ही शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों को मुद्रित हो चुकी किताबों को भेजने का काम प्रारंभ कर दिया था। इनमे ७० प्रतिशत किताबें ही मौजूद थी। तीस प्रतिशत किताबें अलग अलग विषयों की छपकर नहीं आई थी। यह किताबें अभी भी छप कर नहीं आई है। पहली से आठवीं तक की कक्षा में कई किताबें पुराने छात्रों से लेकर नये छात्रों को दी जा रही है जबकि कुछ किताबें जिनमें कई परिवर्तन हुए हैं वे अभी तक स्कूलों को नहीं मिली है। यह विषय अभी स्कूलों में पढ़ाना प्रारंभ नहीं किये गये है क्योंकि इनमे विषयों को लेकर अभी भी शिक्षकों को पूरी जानकारी नहीं है। दूसरी ओर पिछले साल भी स्कूली छात्रों को यूनिफार्म नहीं मिल पाई थी तो इस बार भी अभी तक छात्रों को यूनिफार्म नहीं मिली है। जबकि उच्चत्तर माध्यमिक स्कूलों के लिए दो दो यूनिफार्म मिल गई है जो छात्रों को वितरित भी कर दी गई है।

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