एक दिन पहले छोड़ा अमेरिका ने काबुल, तालिबानियों ने विमानतल पर गोलियां चलाकर उत्सव मनाया

वॉशिंगटन/काबुल। अमेरिकी सेना ने एक दिन पहले ही काबुल छोड़ दिया है। इसके बाद तालिबानियों ने विमानतल पर गोलियां चलाकर उत्सव मनाया। तालिबानियों को अमेरिका के 6 लाख करोड़ के हथियार मुफ्त में मिल गए हैं। काबुल में भारत के अभी भी 20 नागरिक फंसे हुए हैं। अब कमर्शियल फ्लाइट चालू होने के बाद ही इनका रेस्क्यू होना संभव है।
अमेरिकी ने काबुल एयरपोर्ट से अपने सभी सैनिकों को वापस बुला लिया है। 30 अगस्त की रात अमेरिकी सैनिकों की आखिरी टुकड़ी काबुल एयरपोर्ट से रवाना हुई। यानी अब काबुल एयरपोर्ट समेत पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया है। तालिबान ने फायरिंग और आतिशबाजी कर इसका जश्न मनाया। अमेरिकी रक्षा विभाग ने ट्वीट कर इसकी पुष्टि की। ट्वीट में एक फोटो शेयर करते हुए लिखा गया, अफगानिस्तान छोड़ने वाला आखिरी अमेरिकी सैनिक- मेजर जनरल क्रिस डोनह्यू, 30 अगस्त को सी-17 विमान में सवार हुए, जो काबुल में अमेरिकी मिशन के अंत का प्रतीक है। अमेरिका का कहना है कि इसके साथ ही 20 साल चले इस युद्ध का भी अंत हो गया। अमेरिका के पास काबुल एयरपोर्ट खाली करने के लिए 31 अगस्त तक की डेडलाइन थी। बीते कुछ दिनों में काबुल एयरपोर्ट के बाहर आतंकी हमले भी हुए, जिनमें सैकड़ों लोग मारे गए। यही कारण यहा है कि अमेरिकी सैना और उसके नाटो सहयोगियों को जल्दबाजी में बाहर निकलने के लिए मजबूर किया गया। तालिबान और इस्लामिक स्टेट की अराजकता के बीच वो हजारों अफगान पीछे छूट गए हैं जो अपना मुल्क छोड़ना चाहते थे। अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध की समाप्ति के बाद काबुल में जश्न में गोलियां चलीं। तालिबान के प्रवक्ता कारी यूसुफ ने कहा, अंतिम अमेरिकी सैनिक काबुल हवाई अड्डे से निकल गया है और हमारे देश को पूर्ण स्वतंत्रता मिली है। भारत के लिहाज से सबसे अच्छी बात यह रही कि कोई भारतीय नागरिक वहां नहीं छूटा यानी जो लोग आना चाहते थे, उन्हें वायु सेना के विशेष विमानों से भारत लाया गया। भारतीय ही नहीं, अफगानी सिख और हिंदुओं को भी शरण की गई है। इसको लेकर दुनियाभर में मोदी सरकार की तारीफ हो रही है।

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