समस्या वहीं की वहीं, नई डिजाइन में भी रोटरी बनेगी मुसीबत

सौ फीट का स्पान ही देगा यातायात दबाव से राहत

इंदौर। अंतत एक बार फिर बंगाली फ्लाईओवर की डिजाइन को लेकर लोकनिर्माण विभाग भी उलझ गया है। नई डिजाइन में कोई विशेष परिवर्तन नहीं होने के साथ ही सबसे ज्यादा दिक्कत रोटरी निर्माण को लेकर दिखाई देगी। दूसरी ओर इंदौर के जानकार इंजीनियरों ने भी इस डिजाइन की खामियों को लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी। नई डिजाइन में कोई परिवर्तन नहीं है। इससे यातायात की समस्या आने वाले समय में इस चौराहे पर बड़ी मुसीबत बन जाएगी। अभी इंदौर लोकनिर्माण विभाग को नई डिजाइन नहीं मिली है। विभाग का भी प्रयास है कि भोपाल से ही इसे अंतिम रुप दिया जाए। इंदौर के इंजीनियरों ने ब्रिज के पिलर सौ फीट रखने का प्रस्ताव दिया था जिससे आने वाले सालों में भी यातायात के लिए पूरी तरह रोड़ खुला मिलेगा। इसके पूर्व पिपल्याहाना, खंडवा रोड़ और प्रदेश के कई स्थानों पर यह प्रयोग बेहद सफल रहा।
लोकनिर्माण विभाग द्वारा बंगाली फ्लाईओवर को लेकर कई तकनीकि खामियां होने के बाद भी इसे दूर करने का कोई प्रयास नहीं किया था। कुलमिलाकर यह ब्रिज इन्हीं खामियों के कारण उलझ गया था। अब इसके बाद मुंबई आई.आई.टी को इस ब्रिज की डिजाइन को लेकर नियुक्त किया गया था। इस दौरान तीन दिन सर्वे भी किया गया था। इस मामले में लोक निर्माण विभाग के अधिकारी ही मान रहे हैं कि आईआईटी मुंबई से पूछा गया सवाल ही गलत है। इससे ब्रिज की तकनीकि खामियों पर और पर्दा डल जाएगा। वर्तमान में ६० फीट के पीलर पर ब्रिज को खड़ा करने की योजना है। इसमे कोई परिवर्तन अभी नई डिजाइन में नहीं किया गया है। रोटरी में भी कोई परिवर्तन नहीं है। रोटरी निर्माण के बाद यहां वाहन आपस में भिड़ते हुए देखे जा सकेंगे। इस मामले में क्षेत्रीय विधायक महेंद्र हार्डिया भी अपना विरोध दर्ज करवा चुके है। उन्होंने बताया कि अभी तक डिजाइन को लेकर किसी भी प्रकार की सहमति नहीं ली गई है। ना ही डिजाइन अभी इंदौर लोकनिर्माण विभाग को मिली है। डिजाइन आने के बाद ही इस बारे में आगे कोई बातचीत होगी। उल्लेखनीय है कि इस चौराहे से खजराना, कनाड़िया, पलासिया, पिपल्याहाना से लगातार वाहनों के आने का क्रम बना रहता है। इन मार्गों से आने वाले वाहनों को यदि पिलर बीच में बना दिये तो इससे यातायात सुधरने के बजाए और उलझ जाएगा। नई डिजाइन में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।
रोटरी के लिए जगह नहीं
इंदौर के वरिष्ठ इंजीनियर और तकनीकि सलाहकार अतुल सेठ का कहना है कि लोकनिर्माण विभाग ने आईआईटी से प्रश्र ही गलत पूछा है। यहां पर घूमने के लिए रोटरी की जगह ही नहीं है। इससे और यातायात का दबाव बढ़ जाएगा। एक ही इलाज यहां पर यातायात दबाव कम करने के लिए हो सकता है कि सौ फीट का स्पान देकर पीलर को पूरा तरह से पिपल्याहाना ब्रिज की तरह हटा दिया जाए
चौराहे पर होंगे विवाद
बंगाली चौराहे पर अगर ६०-६० फीट के ही पीलर बना दिये गये तो कठिन तरीके से ट्राफिक हो यहां घूमना होगा। सर्विस लेन से आने वाले ट्राफिक को सीधे जाने वाले ट्राफिक में घूसना होगा। जिससे दुर्घटना बढ़ेगी। नये नक्शे में अभी भी कई तकनीकि खामियां मौजूद है।
बड़े वाहन फसेंगे
ब्रिज के स्पान की चौड़ाई कम होने से यातायात व्यवस्था चरमर्रा जाएगी। वाहन एक दूसरे से सट कर चलेंगे और बड़े भारवाहक वाहन यहां फंस जाएंगे।

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