450 करोड़ के कॉरिडोर पर न लेफ्ट टर्न खुले, न ही डेड एंड

तमाम विकास के बाद भी गले की हड्डी बना हुआ है...

इंदौर (धर्मेन्द्र सिंह चौहान)।
यातायात को सुगम बनाने के लिए बनाया गया बीआरटीएस कॉरिडोर प्रारंभ से ही निगम के गले की हड्डी बना हुआ हैं। इसे बनाने के लिए सरकार ने शुरूआती दौर में लगभग 450 करोड़ रूपए खर्च किए थे। मूलभूत संरचना भी बदली, दर्जनों बार प्लानिंग बदली गई, बावजूद इसके आजतक इस पर यातायात सुगम होता नहीं दिख रहा हैं। प्रशासन अभी तक कॉरिडोर के ज्यादातर डेड एंड नहीं खोल पाया और न ही लेफ्ट टर्न चौड़े करने में सफलता मिली। धार्मिक स्थलों के अतिक्रमण हटाना तो दूर प्रशासन खुद के अतिक्रमण (भंवरकुआ थाना) नहीें हटा पाया है।
बीआरटीएस कॉरिडोर बनाकर इंदौर विकास प्राधिकरण ने निगम को हस्तांतरित किया था। इसके बाद निगम ने कॉरिडोर की संरचना में कई बदलाव किए गए हैं। कॉरिडोर के ज्यादातर बंद पड़े लेफ्ट टर्न और डेड एंड को खोलने की प्लानिंग निगम अभी तक नहीं बना पाया। गीताभवन चौराहा और जीपीओ पर एक ही तरफ के लेफ्ट टर्न चौड़े कर छोड़ दिया। नवलखा चौराहे के साथ ही अन्य चौराहों के डेड एंड बंद होने से वाहनों की लम्बी कतारे लग जाती है। डेड एंड और लेफ्ट टर्न पर खुल चुकी दुकानों पर आने वाले ग्राहक भी अपने वाहन सड़क पर ही खड़े कर यातायात में बाधा पैदा करते हैं। रसोमा चौराहा और एमआर 9 के कुछ लेफ्ट टर्न और डेड एंड चौढ़े करने के साथ सीधे चौराहे से जोड़ दिया है जिससे चौराहे के वाहन सर्विस रोड पर आसानी से पहुंच सके। जबकि रसोमा चौराहे पर इसके कारण एक परेशानी यह बड़ गई कि सी 21 और आर्बिट मॉल की ओर से लोग सर्विस रोड से होकर सीधे चौराहे पर आने की कोशिश करते हैं। यहां तक कि रसोमा चौराहे पर बने साइकल ट्रेक को हटाकर मिक्स लेन में मिला दिया। कॉरिडोर के बहुत से डेड एंड पर अभी भी रेस्टोरेंट, चाय-पान की दुकानों के साथ ही वाहनों की पार्किंग भी बड़े स्तर पर हो रही है। भंवरकुआं से राजीव गांधी चौराहे के बीच और विजयनगर से देवास नाका चौराहे के बीच भी बीआरटीएस की सर्विस रोड पर कई वाहन मनमाने तरीके से खड़े होते हैं। सर्विस रोड पर तो वाहनों की पार्किंग हो रही है, जिस पर न तो निगम ध्यान देता हैं और न ही यातायात विभाग।

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