47 प्रतिशत नौकरियां अब नहीं लौटेंगी, 17 प्रतिशत डिग्रीधारी भविष्य में भी बेरोजगार

दो अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के सर्वे आपको चौंका देंगे

नई दिल्ली (ब्यूरो)। भारत में कोरोना की तीसरी लहर के पहले दो अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा किए गए सर्वे बहुत चौंकाने वाले परिणाम बता रहे हैं। कोरोना महामारी के चलते 47 प्रतिशत नौकरियां अब देश में वापस नहीं लौटेंगी, क्योंकि यह नौकरियां अब कंपनियों में पूरी तरह समाप्त हो गई हैं। दूसरी ओर भारत में जुलाई-2019-20 से जून-2020 तक के सर्वे में सरकारी आंकड़ा यह बता रहा है कि अठारह प्रतिशत स्नातक और स्नातकोत्तर पूरी तरह बेरोजगार हैं। जी-20 देशों में भारत का आंकड़ा बीसवें नंबर पर आया है। जब तक नए युवा अपनी डिग्रियां लेकर नौकरी की तलाश में बाजार में उतरेंगे, तब तक उस विषय में नौकरियां ही नहीं होंगी। आने वाले समय में नौकरियों पर जबर्दस्त कहर आने वाला है।
वर्ल्ड इकॉनामिक फोरम ने नए रोजगार और गए रोजगार को लेकर 37 देशों में एक बड़े सर्वे किया था। इसमें भारत भी शामिल किया गया। सर्वे में पहली नजर में ही दिखा है कि भारत में रोजगार के लिए नई जमीन तैयार नहीं हो रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 47 प्रतिशत रोजगार अब वापस नहीं लौटेंगे, यानी भारत में दस करोड़ से ज्यादा लोगों को अन्य तरीके से आय के साधन ढूंढने होंगे। फोरम में सैंतीस देशों ने सर्वे के दौरान आंकलन किया कि कोविड के दौरान और कोविड के बाद कौन-सा देश रोजगार के लिए कितना तैयार है। सर्वे में यह भी कहा गया है कि आने वाले समय में अब नौकरियों का स्वभाव बदल जाएगा। नौकरियों में आठ घंटे की नौकरी नहीं होगी। हर व्यक्ति को कार्यक्षमता के अनुसार दो से तीन नौकरियां भी करनी होंगी। सैंतीस देशों में जो तैयारियां देखी गईं, उसमें अमेरिका, जापान, सिंगापुर, कोरिया, चीन, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, यहां तक कि सऊदी अरब अमीरात, कतर, मलेशिया ने नए रोजगारों को लेकर बड़ी तैयारियां की हैं। आईटी क्षेत्र में नए प्रशिक्षण भी देना प्रारंभ कर दिया है। भारत इनमें भी सबसे पीछे है। दूसरी ओर पीएलएफएस (पीरियाडिक लेबर फोर्स सर्वे) ने रिपोर्ट दी है कि भारत में बेरोजगारी का आंकड़ा भयावह स्थिति में पहुंच चुका है। जो नौकरियां लौटी हैं, वे औसत आय से नीचे की हैं, यानी डिलेवरी बॉय, मजदूरी, रिटेल नौकरी, मध्यमवर्गीय नौकरियां समाप्त हो गई हैं।

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