1 करोड़ 30 लाख का जिओ टैगिंग सिस्टम फेल
राह बताना तो दूर समय बर्बाद कर रहे जिओ टैग
इंदौर (धर्मेन्द्रसिंह चौहान)।
क्लीन इंदौर के नाम पर शहर के पेड़ों पर लगाए गए जिओ टैगिंग सिस्टम ने काम करना बंद कर दिया। इन जिओ टैगिंग सिस्टम को लगाने के लिए नगर निगम ने 1 करोड़ 30 लाख रूपए खर्च किए थे, मगर तीन साल में ही खराब हो गया यह सिस्टम। पेड़ों की अवैध कटाई पर रोक लगाने के उद्देश्य से नगर निगम द्वारा यह टैगिंग सिस्टम ऐसे पेड़ों पर लगाए गए थे जिनकी ऊंचाई 5 फीट और मोटाई 15 सेंटीमीटर हो। समय पर सही मॉनिटरिंग नही होने से यह जिओ टैगिंग सिस्टम फेल हो गया।
पेड़ों की अवैध कटाई को रोकने के लिए नगर निगम द्वारा अक्टूबर 2018 में एक वृहद योजना बनाई थी। जिसके तहत शहर भर के सभी पेड़ों की वैरायटी अनुसार गणना हो सके। इसके साथ ही हर साल पेड़ की ऊंचाई और मोटाई संबंधी जानकारी सचित्र अपडेट हो सके। जिस पेड़ पर टैगिंग सिस्टम लगाया गया हैं वह पेड़ फलदार हैं या छायादार यह भी जानकारी इस सिस्टम से आसानी से आम लोगों को भी पता चल सके। बार कोड होने से पेड़ का नाम, प्रजाति, उपयोग, उम्र, ऊंचाई, मोटाई के साथ ही अन्य वह सभी खुबियां जो उस पेड़ की हो वह आसानी से पता लग सके। जिओ टैगिंग को शहर में सबसे पहले नेहरू पार्क, रीजनल पार्क, एमजी रोड, रीगल चौराहा, बीआरटीएस के साथ ही प्रमुख सड़कों और पिकनिक स्पॉटों पर लगाए गए थे। ताकी इन पेड़ों को उनकी आईडी से सर्च किया जा सके। मगर समय पर ध्यान नहीं देने से यह पूरा सिस्टम ही फेल हो गया। इस टैगिंग सिस्टम में पेड़ों की वनस्पति विज्ञान से संबंधित जानकारी भी प्रोफाइल में होने का दावा किया गया था जिससे वनस्पति विज्ञान के विद्यार्थियों को इसका लाभ मिल सके।