हर दिन डेढ़ लाख लीटर से ज्यादा इंडस्ट्रीयल आईल बायो डीजल के नाम पर शहर में बेचा जा रहा है…

जीएसटी का बड़ा फर्जीवाड़ा, मामला विधानसभा में पहुंचा, महाराष्ट्र और गुजरात के पोर्ट से आ रहे हैं हर दिन टैंकर

इंदौर।
बायोडीजल के नाम पर शहर में एक लाख लीटर से ज्यादा इंर्पोटेड डीजल यानी इंडस्ट्रीयल आईल बेचा जा रहा है। शहर के लगभग ८० प्रतिशत पेट्रोल पंप इन दिनों इसी आईल का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन पंपों की खपत और खरीदे गये डीजल की जानकारी ली जाए तो यह मामला बहुत बड़े घोटाले में बदल जाएगा। एक लीटर इंडस्ट्रीयल आईल और डीजल के बीच २७ रुपए का फर्क है दूसरी ओर इस खेल में जीएसटी की भी बड़ी चोरी हो रही है। बायोडीजल पर १८ प्रतिशत जीएसटी लगता है। कुछ ट्रांसपोर्ट संचालकों और बस मालिकों ने जीएसटी का इनपुट लेने के लिए नये नंबर ले लिये हैं जबकि पेट्रोल पंप से खरीदे गये डीजल पर विभाग से जीएसटी वापस नहीं लिया जा सकता है। एक-एक पंप पर ४०-४० हजार लीटर केमिकल बायोडीजल के नाम पर चलाया जा रहा है। अब इस लाखों के अवैध काम में खाद्य विभाग और वाणिज्यिकर विभाग के अधिकारी भी शामिल हो गये हैं। इधर यह मामला अब विधानसभा में भी दैनिक दोपहर की कटिंग के साथ लगाया गया है।
3पिछले दिनों दैनिक दोपहर ने बायोडीजल के नाम पर चल रहे फर्जीवाड़े को उजागर किया था। इसी के साथ ही वाणिज्यिकर विभाग ने एक साथ इंदौर और रतलाम में बायोडीजल के नाम पर केमिकल बेच रहे पंपों पर कार्रवाई की थी। यहां पर बड़ी तादाद में टैक्स चोरी का मामला उजागर हुआ था दूसरी ओर प्रारंभिक जांच में यह पाया गया है कि यह घोटाला बहुत बड़े पैमाने पर चल रहा है। महाराष्ट्र और गुजरात के पोर्ट से इंडस्ट्रीयल केमिकल के नाम पर यह इंर्पोटेड डीजल उठ रहा है जो फैक्ट्रियों के बजाए बाजार में पहुंच रहा है। इंदौर में प्रतिदिन पाँच टैंकर से ज्यादा इंडस्ट्रीयल आइल पेट्रोल पंपों पर पहुंच रहा है। इसे बायोडीजल के नाम पर बेचा जा रहा है। आश्चर्य की बात यह है कि बायोडीजल में बी-१०, बी-२०, बी-३० के नाम से बेचे जाने पर पाँच प्रतिशत से बीस प्रतिशत तक मूल डीजल मिलाना पड़ता है। यहां पर सीधे ही यह आईल बेचा जा रहा है। ७५ रुपए प्रतिलीटर में यह उपलब्ध है। शहर में तमाम दलाल पेट्रोल पंपों पर घूम रहे हैं। दूसरी ओर तीन ईमली पर स्थित एक पेट्रोल पंप पर पिछले दिनों खाद्य विभाग ने बड़ी कार्रवाई की थी परंतु फिर यह मामला बड़ी देनदारी के साथ समाप्त हो गया था। यहां अभी भी इंडस्ट्रीयल केमिकल डीजल के नाम पर बिक रहा है। डेढ़ लाख लीटर से ज्यादा हर दिन शहर में टैंकरों से खप रहा है। कुछ पंपों ने इसे सीधे छोटे टैंकरों में खाली करवाकर सीधे ही ट्रांसपोर्ट और बसों पर पहुंचा रहे हैं। आश्चर्य की बात यह भी है कि इसका बकायदा बिल भी इंडस्ट्रीयल आइल के नाम पर पेट्रोल पंपों को दिया जा रहा है जबकि पेट्रोल पंप इसे खरीद ही नहीं सकते हैं। वास्तव में इंडस्ट्रीयल यूज आईल पर सरकार को जो राजस्व मिलता है वह नहीं मिल रहा है। बल्कि इसे जीएसटी लगाकर बेचा जा रहा है। कुल मिलाकर इस बड़े फर्जीवाड़े में करोड़ो की टैक्स चोरी का मामला उजागर होगा। वाणिज्यिकर विभाग की एंटी इवेजन टीम ने भी इन पंपों पर जीएसटी की चोरी को लेकर कार्रवाई की थी उसमे भी अभी जांच जारी है। दूसरी ओर इस इंडस्ट्रीयल आईल को लेकर मैकेनिकों का भी दावा है कि यह आईल वाहनों के उपयोग के लिए नहीं है। इसके उपयोग करने वाले वाहनों को एक साल में बड़े खर्च इंजन को सुधारने में लगाने होंगे। इसकी डेंसिटी भी डीजल से कम है इसका असर भी इंजन पर दिखाई देगा। वहीं बायोडीजल को लेकर एक कृषि वैज्ञानिक ने दावा किया कि इतना बायोडीजल बेचने के लिए दो हजार एकड़ में रतनजौत की खेती करनी पड़ेगी।

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