3 नंबर की शराब ही शहर में धड़ल्ले से बेची जा रही है

बिना फेक्ट्री के इतनी शराब बनना संभव नहीं है, खेतों में बन सकती है चंद बाटले

इंदौर। शहर में शराब के अवैध कारोबार को लेकर आबकारी विभाग, पुलिस विभाग और ठेकेदार अब मिलकर भ्रम की स्थिति पैदा कर रहे हैं। शहर में अवैध शराब के नाम पर तीन नंबर की दूसरे राज्यों के परमिट पर पीथमपुर से धड़ल्ले से लाकर शराब बेची जा रही है। शहर में यदि अवैध या जहरीली शराब से जब भी मौतें होंगी तो लाशों का ढेर शहर में दिखाई देगा। इंदौर में हर दिन 600 पेटी से ज्यादा रायल चेलेंज बिक रही है। हर चौथा शराबी सबसे पहले रायल चेलेंज, इम्पायर ब्लू यानी आईबी और जानी वॉकर, और बीपी ही खरीदता है। बार में शराब खरीदने के इस खेल में ठेकेदारों की भी बड़ी भूमिका होना तय है। कारण यह है कि उस गोली कांड के बाद इंदौर में शराब ठेकेदारों को कम से कम 150 करोड़ से अधिक का घाटा होना तय है। पुलिस और आबकारी खेतों में बन रही शराब पकड़ना बता रहे हैं, जो पूरी तरह से इस खेल का एक प्रतिशत भी नहीं है। बिना फैक्ट्री के इतनी शराब नहीं बिक सकती। 
लम्बे समय से अवैध शराब और तीन नंबर के कारोबार से जुड़े शराब व्यवसायी ने स्पष्ट रूप से दावा किया कि जो शराब पुलिस अवैध बता रही है उस पर बेच नंबर लिखे हुए हैं और यह शराब उत्तरप्रदेश और अन्य राज्यों के लिए पीथमपुर से निकलने के बाद शहर में ही खपाई जा रही है। शराब ठेकेदार ही अब इस कोशिश में हैं कि बार में दी जा रही शराब के बजाय उनकी दुकानों से खपत बढ़े। दूसरी ओर नकली शराब शहर में बिकना संभव नहीं है। यह 1 सेे 2 प्रतिशत ही बेची जा सकती है, क्योंकि 1 हजार करोड़ के शराब ठेके का मतलब शहर में 20 हजार करोड़ से ज्यादा की शराब आराम से बिकती है। ऐसे में केवल तीन नंबर के माल से ही यह खेल खेला जा सकता है। जहां जहां भी शराब पकड़ाई है उसमें मोहरों का इस्तेमाल हो रहा है। पीथमपुर से पहले आबकारी विभाग ने फैक्ट्री को अलर्ट कर दिया। अब छोटे शिकारी तलाशे जा रहे हैं। वे वे अपराधी हैं जो कई बार छोटे मोटे शराब कारोबार में ही पकड़े गए हैं। कुछ मिलाकर आबकारी विभाग ठेकेदारों के साथ मिलकर यह खेल खेल रहे हैं। जिन बार को सील किया गया है उन बार में ही शराब की खपत कितनी है यह जानकारी ही सामने आ जाए तो स्पष्ट होगा कि इस बार से ही कम से कम 100 से कम लोग नहीं मरते। तीन नंबर की शराब मूल कीमत से 200 से 300 रुपए सस्ती होने के कारण ही बार के संचालक इसे लम्बे समय से खरीद रहे हैं। पूरे शहर में ठेकेदारों ने तीन नंबर की शराब का जाल इस कदर फैला रखा है कि इसमें विभागों से लेकर राजनेता तक नहा रहे हैं।
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