4540 कंपनियां दिवालिया हुई

पिछले वित्तीय वर्ष में रिकॉर्ड 1978 कंपनियों ने दिवाला घोषित किया...बेरोजगारी का आंकड़ा अब तक के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचा

मुंबई (ब्यूरो)। सरकार के स्टार्टअप और उद्योगों को दी जा रही तमाम सुविधाओं के बाद भी कारोबार में मांग की भारी कमी के चलते अब देशभर की कई कंपनियां आईबीसी कानून के तहत दिवालिया हो चुकी हैं। प्राथमिक आंकड़ों में ही यह संख्या 4540 तक पहुंच चुकी है। इन कंपनियों के दिवालिया होने से बैंकों और बाजारों के एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा डूबने जा रहे हैं। साथ ही साढ़े 4 लाख से ज्यादा लोग बेरोजगार हो गए हैं। इस समय उद्योग क्षेत्र में 1991 से भी बदतर स्थिति बताई जा रही है। कोरोना कॉल के तीन महीनों में यानी अप्रैल, मई, जून 164 कंपनियों ने दिवालिया घोषित कर दिया है।
देश की अर्थ व्यवस्था के लगातार सिकुड़ने के कारण और बाजार में मांग की भारी कमी के चलते कई कंपनियों ने अब दिवालिया होना ही बेहतर समझा है। जेट एयरवेज के मालिक विजय माल्या ने भी खुद को कल दिवालिया घोषित कर दिया है। उन पर 8000 करोड़ रुपए की बैंक की देनदारी थी। 2017 में लागू हुए आईबीसी कानून के प्रारंभिक दो माह में ही 37 कंपनियों ने दिवालिया होने का आवेदन लगा दिया था। इसके बाद अप्रैल 2017 से मार्च 2018 तक 706 कंपनियों ने दिवालिया घोषित किया। अप्रैल 2018 से मार्च 2019 तक 1156 कंपनियों ने खुद को कंगाल घोषित कर दिया और अप्रैल 2019 से मार्च 2020 में यानी कोविड़ कॉल के पहले सर्वाधिक 1978 कंपनियों ने दिवालिया घोषित कर दिया। कोरोना के तीन माह में 499 कंपनी पहली बार और कोरोना की दूसरी लहर में 164 कंपनियों ने हाथ ऊंचे कर दिए। इनमें प्रमुख रूप से होटल कारोबार, निर्माण कारोबार, उद्योग के अलावा ट्रेडिंग करने वाली बड़ी कंपनियां शामिल है। अभी भी कई कंपनियां दिवालिया होने के लिए आवेदन दे रही है। नए उद्योग में निवेश को लेकर ज्यादा बेहतर हालात तो नहीं बने परंतु पहली बार इतने बड़े पैमाने पर कंपनियों ने दिवालिया घोषित किया।

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