70 लाख रुपए खर्च हुए एक फोन की टेपिंग पर

सरकार यह बताने को तैयार नहीं कि पेगासस खरीदा है या नहीं

नई दिल्ली (ब्यूरो)। देशभर में इजराइल की कंपनी के साफ्टवेयर पेगासस द्वारा जासूसी किए जाने को लेकर जहां भारी हंगामा मचा हुआ है, वहीं प्रधानमंत्री और गृहमंत्री यह बताने को तैयार नहीं हैं कि उन्होंने इजराइल की कंपनी से यह साफ्टवेयर खरीदा है या नहीं। दूसरी ओर फ्रांस और इजराइल ने इस खबर के उजागर होने के बाद उच्चस्तरीय जांच की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। भाजपा के ही राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दो टूक पूछा है कि भारत में इसका इस्तेमाल बिना खरीदे कैसे हो गया।
पेगासस को इजराइल सर्विलांस कंपनी एनएसओ ने तैयार किया है, जिसका उपयोग आतंकवादियों की जासूसी के लिए किया जाता है और इसी अनुबंध के आधार पर कंपनी सरकारों को यह साफ्टवेयर उपलब्ध करवाती है। कंपनी के पब्लिक डोमेन में बताया गया है कि चालीस देश उनके कस्टमर हैं। इसके यूजर्स में 51 प्रतिशत इंटेलीजेंस एजेंसी और 11 प्रतिशत सेनाओं से हैं। कंपनी की वेबसाइट पर लिखा है -यह टेरर और क्राइम को नियंत्रित करने में मदद करती है। भारत सरकार ने 2016 में सिर्फ दस लोगों पर नजर रखने के लिए नौ करोड़ रुपए दिए थे। एक टेलीफोन की जासूसी करने पर सत्तर लाख रुपए का खर्च आता है। एनएसओ ग्रुप अपने कस्टमर से दस डिवाइज हैक करने के बदले में उन्हें पांच करोड़ रुपए चार्ज करता है और इस्टालेशन के लिए पौने चार करोड़ रुपए लेता है। भारत में तीन सौ लोगों की जासूसी पर 2700 करोड़ रुपया खर्च किया गया है। भाजपा के राज्यसभा सांसद ने प्रधानमंत्री से दो टूक पूछा है कि भारत सरकार ने यह साफ्टवेयर खरीदा है या नहीं। अभी तक प्रधानमंत्री और गृहमंत्री दोनों ने ही लोकसभा में भारी हंगामे के बाद इस मामले में पूरी तरह चुप्पी साध रखी है।
मुंबई में फिर हालात बिगड़े-मुंबई। कोरोना और भीषण बाढ़ के चलते मुंबई में फिर हालात बिगड़ गए हैं। 346 लोगों की 24 घंटे में मौत हो गई है, जिसके कारण एक बार फिर कोरोना को लेकर लोगों की चिन्ता बढ़ गई है। कई बड़े मॉल और प्रतिष्ठानों को सरकार ने बंद करने के आदेश दे दिए हैं।

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