शराब ठेकेदारों में विवाद बढ़े, करोड़ों की बैंक ग्यारंटी मिलने में अब झमेला

एके सिंह दिल्ली, भाटिया भोपाल में

इंदौर। शराब अहातों की अवैध कमाई में हुई गोलीबारी के दो अपराधी एके सिंह और पिंटू भाटिया भूमिगत हो गए हैं। एके सिंह दिल्ली में बड़े राजनेता के पास पहुंचे हैं। पिंटू भाटिया भोपाल और रायपुर में पहुंचे हैं। इधर आबकारी विभाग को शराब ठेकों की दुकान से मिलने वाली बैंक ग्यारंटी उलझ गई है, जबकि ठेके के पहले दिन ही बैंक ग्यारंटी लेना थी। इस बार सरकार को करोड़ों का चूना लगने जा रहा है। (देखें पृष्ठ 4)
इंदौर। शहर में शराब की दुकानों के साथ चल रहे अहातों को लेकर आबकारी विभाग के अधिकारियों के संरक्षण में ही हर साल 3 से 4 करोड़ रुपए का बड़ा खेल होता है। अहातों को लेकर दो प्रकार की नीतियां बनी हुई है। बस इसी का लाभ यहां पर होता है और इसीलिए इंदौर में शराब कारोबार में अवैध रूप से करोड़ों की कमाई में सबका हिस्सा बना हुआ है। इसीलिए इंदौर में पदस्थ होने वाले आबकारी अधिकारी से लेकर अन्य नियुक्तियां सीधे मंत्री स्तर पर ही हो पाती है। सेवा निवृत्त हुए एक आबकारी अधिकारी ने कहा कि इंदौर में नियुक्ति के भाव 5 करोड़ रुपए तक होते हैं, इसके अलावा सालभर में कई बार पैसा देना होता है। बिना पैसे दिए इंदौर में नियुक्ति संभव नहीं है। शहर में 60 से अधिक अहाते बिना अनुमति के चल रहे हैं। कल भी अधिकारियों ने केवल उन्हीं अहातों पर हाथ डाला, जिन पर लाखों रुपए फीस बकाया है।
आबकारी विभाग के सूत्र बता रहे हैं कि शहर में 173 दुकानें देशी और विदेशी शराब की चल रही है। 104 देशी शराब की दुकानों के साथ ही अहाते बने हुए है, जबकि 70 विदेशी शराब दुकानों में से मात्र 22 विदेशी शराब दुकानों के पास ही अहाता चलाने की अनुमति है। यानी 50 से अधिक अहाते बिना अनुमति के शहर के उन गुंडों के पास है, जिनके रिकार्ड अपराधों से भरे पड़े हुए है। विदेशी शराब की दुकानों के साथ अहाते चलाने के लिए एक प्रतिशत तक का लायसेंस शुल्क दुकान की कीमत के आधार पर तय होता है। यानी दुकान 15 करोड़ में गई है तो 15 लाख रुपए का अहाता शुल्क लगेगा। इसी शुल्क की चोरी को लेकर आफलाइन में यह अहाते नहीं लिए जाते हैं और यही अहाते पूरे सालभर अवैध रूप से कमाई का जरिया गुंडों के लिए बने रहते हैं। इस साल 910 करोड़ में शराब की दुकानें नीलाम की गई है, जिस ग्रुप ने इंदौर की दुकानें ली है, उनके पहले महीने में 23 करोड़ का घाटा हो चुका है। इसे लेकर अब ठेकेदारों में भी बड़ी खींचतान मची हुई है। एक अहाता सालभर में सारे खर्चे देने के बाद 5 लाख रुपए तक छोड़ता है। इस हिसाब से शहर में चल रहे 50 अवैध अहाते को जोड़ा जाएगा तो ढाई करोड़ रुपए से ज्यादा का अवैध कारोबार आबकारी अधिकारियों के संरक्षण में पिछले लंबे समय से चल रहा है। इधर शहर में सबसे ज्यादा कमाई का अहाता एमआर-10 चंद्रगुप्त मौर्य चौराहे के पास का है। इसके लायसेंस की जानकारी भी अभी तक नहीं दी गई है। कल दैनिक दोपहर ने आबकारी विभाग से अहातों की सूची को लेकर यह जानकारी चाही थी कि कितने अहातों ने लायसेंस फीस भर रखी है। विभाग का कोई भी अधिकारी इसे बताने के लिए तैयार नहीं था। दूसरी ओर पिंटु भाटिया और ए.के. सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो जाने के बाद दोनों ही भूमिगत हो गए है। इधर पिंटु भाटिया ने जमानत की प्रक्रिया के लिए तैयारी शुरू कर दी है। सूत्र कह रहे इस बार ठेकेदारों में अब जमकर खींचतान शुरू होने जा रही है। दूसरी ओर शराब के ही एक ओर ठेकेदार संतोष रघुवंशी अब अपने ठेकों के साथ अलग हो रहे हैं। कुल मिलाकर ठेकों के बीच अब जमकर खींचतान शुरू होने जा रही है।

You might also like