सप्ताह में 3 दिन बंद रहेंगे स्कूल, तैयारियां शुरू

जिला शिक्षा विभाग एक-दो दिन में बैठक लेकर जारी करेगा नई गाइड लाइन

 

इंदौर। डेढ़ साल बाद अब जाकर हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूल एक बार फिर खोलने की तैयारी की जा रही है। इसे लेकर सरकार ने आदेश भी जारी कर दिए हैं। आदेश के बाद स्कूल संचालकों ने भी तैयारियां जुटाना शुरू कर दी है। स्कूल सप्ताह में केवल चार दिन ही खुले रहेंगे। मंगलवार और शुक्रवार को क्लासेस नहीं लगेगी। रविवार को अवकाश रहता है। बच्चों को अलग-अलग शिफ्ट में दो बार बुलाया जाएगा। इसके लिए जिला शिक्षा विभाग के साथ स्कूल संचालकों की बैठक होगी।
26 जुलाई से स्कूल खोलने की बात कही गई है। कक्षा 9 से कक्षा 12 वीं तक क्लासेस लग सकेगी। क्लासों में उन्हीं बच्चों को प्रवेश दिया जाएगा, जिन्हें वैक्सीनेशन कराया होगा। स्कूल में प्रवेश के दौरान बच्चों को वैक्सीनेशन का प्रमाण पत्र दिखाना अनिवार्य होगा। यही नियम शिक्षक-शिक्षिकाओं पर भी लागू होगा। इसके अलावा कोरोना गाइड लाइन का अक्षरश: पालन अनिवार्य रुप से करना होगा। क्लासेस के दौरान बच्चों को सर्दी जुखाम होता पाया गया तो उसे स्वस्थ होने तक अवकाश दिया जाएगा। इसके बाद छात्र तभी क्लास में आ सकेगा, जब वह डॉक्टर का प्रमाण पत्र लेकर आएगा।
…तो बंद करना होगा स्कूल
जिला शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, 26 जुलाई के बाद बच्चों की पढ़ाई नियमित हो सकेगी। इस दौरान शहर के किसी भी स्कूल में बच्चे संक्रमित निकलते हैं तो स्कूल को तत्काल तालाबंदी की ओर धकेल दिया जाएगा। इसलिए स्कूल संचालकों को कड़े निर्देश दिए जा रहे हैं कि वे स्कूल गेट पर ही बच्चों के शारीरिक तापमान की जांच करें। वैक्सीनेशन पर जोर दें। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराएं। मास्क और सेनेटाइजर का कड़ाई से पालन हो।
विषय चुनने का संकट
कल सरकार ने हाईस्कूल का परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया है। इसमें कोई भी बच्चे अनुतीर्ण नहीं किया गया है। सभी बच्चों को उत्तीर्ण कर दिया है। नियमानुसार, कक्षा 11 वीं से बच्चों को आगे की पढ़ाई के लिए विषय का चयन करना पड़ता है। बच्चों को विषय चयन करने में भी दिक्कत आएगी। क्योंकि, कक्षा 11 वीं जिस विषय का चयन किया जाएगा, उसी विषय में छात्र को कॉलेज तक पढ़ाई करना होगी।
पालकों के सामने भी संकट
स्कूल खुलने के बाद बसों का संचालन नहीं हो सकेगा, क्योंकि वे लंबे समय से खड़ी है। इसके चलते उन्हें गैरेज पर लेकर जाना होगा। गैरेज जाने पर बसों को सुधारने में हजारों रुपए लग जाएंगे। ऐसे में बच्चों को स्कूल तक छोड़ने उनके पालकों को जाना होगा। वर्तमान में पेट्रोल महंगा होने से बच्चों को छोड़ने जाने का संकट भी बन रहा है।

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