करोड़ों खर्च के बाद चूहे हिला रहे हैं ऐतिहासिक इमारत की नींव…

बड़ी तादाद में वजनदार चूहें यहां बन गये हैं पर्यटकों के लिए मुसीबत

 

 

 

 

इंदौर (धर्मेन्द्रसिंह चौहान)।
इंदौर में विकास के नाम पर करोड़ो नही अरबों रुपए खर्च किए जा रहे है या कर दिए गए। रुपए खर्च करने के बाद न तो निर्माण कंपनी और न ही प्रशासन ने कभी पलट कर देखा कि जनता की गाड़ी कमाई का पैसा जिस विकास पर खर्च किया गया है वह के हालात अब कैसे है। ऐसे ही हालत इन दिनों कृष्णपुरा की ऐतिहासिक छत्रियों के हो रहे है। इन छत्रियों की नींव चूहे फिर खोखली करने लगे हैं। इस पर न तो पुरातत्व विभाग ध्यान दे रहा है और नही नगर निगम। जिससे यंहा चूहों की तादात दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है।

पांच साल पहले पुरातत्व विभाग ने चूहों के द्वारा हो रहे नुकसान को रोकने के लिए आरसीसी का फ्लोर तैयार करवाया था। मगर समय के साथ ये इंतजाम भी नाकाफी साबित हो रहे हैं। अब एक बार फिर छत्रियों के आसपास चूहों की तादाद बढ़ने लगी है। पुरातत्व विभाग एक बार फिर चूहों से परेशान है। कान्ह नदी पास होने के कारण यहां चूहों के पलने-बढ़ने के लिए स्थिति इनके मन माफिक होने से चूहों की तादाद में दिनों दिन बढ़ोतरी होती जा रही हैं। अब तो चूहों का आंतक कृष्णपुरा छत्रियों पर ज्यादा होने लगा है। पांच साल पहले भी चूहों ने छत्रियों के पास कई बिल बना लिए थे। इससे ऐतिहासिक धरोहरों को नुकसान होने की आशंका थी। तब खतरे को भांपते हुए पुरातत्व विभाग ने परिसर से फर्शियों को हटवाकर, पांच लाख रुपए की लागत से आरसीसी का फ्लोर तैयार करवाया था। मगर अब चूहों ने परिसर में फिर से खुदाई कर नए ठिकाने बना लिए हैं।

कबूतर के भोजन से बढ़े रहे हैं चूहे
पिछले कुछ वर्षों से कई समाजसेवी व मनोरंजन के लिए यहां आने वाले लोग इन होलकरकालीन छत्रियों पर कबूतरों को दाना डालते आ रहे हैं। यही कारण है कि यहां चूहे भी पनप रहे हैं। चारों ओर खुली जगह होने से भी चूहे यहां तक आ रहे हैं।

अनाज डालने पर लगी थी पाबंदी
पुरातत्व विभाग ने पूर्व में छत्रियों पर पक्षियों को अनाज डालने पर पाबंदी लगा दी थी। मगर कई समाजसेवी संगठनों ने इसे सालों पुरानी परंपरा बताकर विरोध किया। इसके बाद पुरातत्व विभाग ने प्रशासन के साथ मिलकर इन संगठनों को दाना डालने से होने वाले नुकसान बताए। लोगों को ऐसा करने से रोकने के लिए ताले भी लगाए, लेकिन समस्या हल नहीं हो सकी। लोगों का यहां आकर पक्षियों को दाना डालना जारी है और पुरातत्व विभाग इन्हें रोक नहीं पा रहा है। जिससे इस ऐतिहासिक इमारत का आस्तित्व खतरे में पड़ने लगा है।

केबल बचाना चुनौती
छत्रियों पर कायाकल्प अभियान के दौरान गौर फाउंडेशन द्वारा एक करोड़ रुपए खर्च कर छत्रियों का रिनोवेशन व सफाई की गई थी। साथ में इन पर रंग-बिरंगी लाइटिंग भी लगाई गई। लाइटिंग शुरू हुए कुछ ही समय बीता था कि चूहों द्वारा केबल वायर को काटने की समस्याएं सामने आ गईं। ऐसे में उस समय फाउंडेशन के अधिकारियों ने चूहों की समस्या से बचने के लिए मेटल (जीआईआई) पाइप डाल कर उसमें केबल डाली गई थी जिससे चूहे केबल को नुकसान नही पहुंचा सके।

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