कृषि कानून: एक साल में ही धड़ाम

स्टाक लिमिट फिर तय, सबसे बड़ी क्रांति बताया था घोषणा में

नई दिल्ली (ब्यूरो)। एक साल पहले ढोल ढमाके के साथ देशभर में ऐलान किए गए कृषि कानून ने पहले साल में ही बिखरना शुरू कर दिया। सरकार ने खुद ही इस कानून के एक हिस्से को वापस ले लिया। यानी कृषि कानून के तीन स्तंभ में से एक स्तंभ ध्वस्त हो गया। जोरशोर से कहा गया था अब देश नए मार्ग की ओर चला है। खाद्यान्न के लिए स्टाक की कोई लिमिट नहीं होगी। जितना चाहे उतना स्टाक किया जा सकता है। अडानी सहित कई बड़े कारोबारियों ने खाद्यान्न का स्टाक करने को लेकर बड़े-बड़े गोडाउन बना लिए थे, परन्तु अब कल बिना किसी आपदा के इस कानून को वापस लेते हुए स्टाक की सीमा तय कर दी। यानी एक साल के भीतर ही यह कानून सिर के बल खड़ा हो गया।

भीषण महंगाई से अब घबराई सरकार
पेट्रोल-डीजल की कीमतों की वृद्धि के साथ ही खाद्य तेल, दाल और अन्य सामानों की कीमतों में भी वृद्धि के कारण सरकार को यह आभास हो गया है कि अगले चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

15 लाख करोड़ महंगाई में स्वाहा

देश में खुदरा महंगाई 15 प्रतिशत तक बढ़ गई है। एक प्रतिशत महंगाई बढ़ने पर आम लोगों पर एक लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार आता है। ऐसे में मात्र 4 महीने में ही आम लोगों की जेब से 20 लाख करोड़ से ज्यादा जा चुके हैं, जबकि आय में कोई वृद्धि नहीं हुई है। सबसे ज्यादा नुकसान पेट्रोल-डीजल की कीमतों से हो रहा है। महंगाई के अलावा आय में कमी से भी आने वाले समय में लोगों के खरीदने की क्षमता में 9 प्रतिशत तक की और कमी आ सकती है।

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