नाला टेपिंग : 300 करोड़ खर्च फिर भी 4 इंच बारिश में दर्जनों बस्तियां हो रही हैं जलमग्न
अमृत सहित कई योजनाओं में पहले भी खूब पैसा बहाया,इंजीनियर, ठेकेदार करते है ज्यादा गड़बड़ी
इंदौर। शहर में नगर निगम ने नाला टेपिंग और सीवरेज लाइन के काम में 6 वर्षों में करीब 300 करोड़ रुपए खर्च किए है लेकिन 4 से 6 इंच की बारिश में ही कई कॉलोनियों, मल्टियों में कई फीट पानी भर जाता है। इसके अलावा तमाम चौराहों, सड़कों पर भी जलजमाव रहता है। इससे लोगों को भारी परेशानी होती है और बीमारी भी फैलती है। निगम ने स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत पिछले बार शहर में ड्रेनेज, सीवरेज के आउटफाल बंद किए। बारिश में लाइनों में दबाव बढ़ने से आउटफाल खुल रहे है और निगम के घटिया काम दिख रहे है।
पूरे देश में 4 बार स्वच्छता में नंबर 1 आने वाले शहर ने 5वीं बार भी नंबर 1 आने के लिए पूरी ताकत से काम किया और बड़ी राशि खर्च की। निगम के हजारों अधिकारियों, कर्मचारियों की फौज, सैकड़ों गाड़ियां, संसाधनों के साथ शहर को साफ, स्वच्छ, सुंदर किया गया। मगर बारिश में कॉलोनियों, बस्तियों के डूबने का सिलसिला कम नहीं हुआ। कान्ह नदी पिछले वर्ष उफान पर थी। 5 से 7 इंच लगातार बारिश से ही शहर की नाला टेपिंग और सीवरेज लाइन के काम की पोल खुल जाती है। पिछले दिनों तेज बारिश से कई जगह जलजमाव, आउटफाल खुलना और नालों में फिर सीवरेज का पानी बहना यह दर्शाता है कि इंजीनियरों, ठेकेदारों ने काम में घोर लापरवाही की। सूत्रों ने बताया कि 6 वर्षों में 300 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए है लेकिन नतीजा सीफर रहा।
टापू नगर में भरता है 10 फीट पानी, बोले रहवासी
झोन क्रमांक 3 के अंतर्गत टापू नगर, सर्वहारा नगर के आसपास जो कार्य किए गए उसमें कई जगह चेम्बर में ढक्कन नहीं है। कुछ जगह चेम्बर फूट गए और प्लास्टिक के एक से डेढ़ फीट के जो पाइप डाले गए है वह किसी काम के नहीं है। यहां रहवासियों ने बताया कि बारिश में 8 से 10 फीट पानी गलियों में भर जाता है और हमें घर छोड़कर भागना पड़ता है। रहवासी योगिता और मनोरमा बाई के अनुसार नगर निगम ने जो काम किया है उसका कोई फायदा हमें नहीं मिला। नाले में गंदा पानी आज भी बह रहा है और काफी कचरा, गंदगी भी इसमें रहती है।
8 हजार आउटफाल बंद किए
जल यंत्रालय के सूत्रों की माने तो शहर में 8 हजार से अधिक आउटफाल बंद किए गए थे जिससे ड्रेनेज का पानी नदी में नहीं मिले। इन आउटफाल में 2 हजार आउटफाल होटल, रेस्टॉरेन्ट, कारखानों आदि के है। नदी में स्वच्छ पानी बहाने के लिए पहले भी अलग से योजनाओं के तहत काम किया गया। 300 करोड़ की राशि अमृत योजना में केन्द्र सरकार ने जारी की थी। इस पूरे कार्य में ठेकेदारों और झोन के इंजीनियरों की सबसे ज्यादा गड़बड़ी बताई गई है।