डेल्टा वैरिएंट के मरीज के आंकड़े छुपाने से शहर का ही नुकसान है

इंदौर। डेल्टा प्लस वैरिएंट को लेकर जिला प्रशासन लगातार आंकड़ों को लेकर छिपाने का प्रयास कर रहा है। पिछले दिनों दैनिक दोपहर ने तीन मरीजों के डेल्टा वैरिएंट होने का मामला प्रकाशित किया था। आज यह संख्या बढ़कर 80 के लगभग हो गई है। हालांकि इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी से लेकर प्रशासन के अधिकारी मौन धारण किए हुए है। दूसरी ओर पूरे प्रदेश में डेल्टा वैरिएंट के 535 मरीज मिले हैं। इस मामले में एक अधिकारी का कहना है कि इंदौर में यदि 80 मरीज है तो इसका मतलब 800 से ज्यादा बाजार में घूम रहे हैं। हालांकि जिला प्रशासन तीसरी लहर को लेकर बड़े पैमाने पर तैयारी कर रहा है। डाक्टरों का मानना है कि शहर में डेल्टा वैरिएंट के मरीज है तो प्रशासन को छुपाना नहीं चाहिए, क्योंकि इससे लोगों को जाग्रत किया जा सकेगा और महामारी के पहले ही शहर में लोग सतर्क हो जाएंगे। डाक्टरों का यह भी कहना है कि यदि प्रशासन इसे छिपा रहा है तो भी इससे बड़ा नुकसान होगा। बेहतर होगा कि प्रशासन इस मामले में वास्तविक स्थिति को लेकर शहर को आगाह करे और अपनी तैयारी भी करे। जांच कर रहे समूह से जुड़े डाक्टरों और अधिकारियों का भी कहना है कि इंदौर में डेल्टा वैरिएंट के मरीज है और यह कैसे संभव है कि पूरे प्रदेश में संख्या 7 से बढ़कर 15 दिनों में ही 535 हो गई और इंदौर में एक भी मरीज न मिले, यह भी हास्यास्पद स्थिति है। आंकड़े छुपाने के बजाय ज्यादा बेहतर हो कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आंकड़े उजागर किए जाए। भले ही जिला प्रशासन अपनी परंपरा को निभाते हुए आंकड़े कम बताए पर बताए जरूर। वरना डाक्टरों को भी अगली तैयारी करने में कई मुसीबतें उठाना पड़ेगी। डेल्टा वैरिएंट को लेकर इलाज की गाइड लाइन भी इसी के साथ ज्यादा बेहतर तरीके से हो सकेगी। यह भी जिला प्रशासन स्थिति स्पष्ट करे कि जिन्हें वैक्सीनेशन किया जा सका है, उन्हें तीसरी लहर में बीमारी से निजात मिलने में कितनी समय लग रहा है?

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