सड़क पर बांग्लादेशी रोहिंग्या भिखारियों की संख्या बढ़ी

हिन्दुओं के नाम रखकर मांग रहे हैं भीख, गांधी हाल प्रांगण बना इन भिखारियों का बड़ा केन्द्र

 

 

 

इंदौर। शहर में इन दिनों भिखारियों की तादात बढ़ती ही जा रही हैं। इस पर न तो प्रशासन का ही कोई ध्यान हैं और न ही निगम का। शहर की प्रमुख सड़कों पर ऐसे लोग इन दिनों ज्यादा देखे जा रहे हैं जिन्हें हिंदी बोलना तक नहीं आती है। यह सिर्फ भाव-भंगिमा से इशारा कर लोगों को भावनात्मक तरीके से पैसों मांगते है, कई बार नही देने पर यह झगड़ा तक कर लेते है। पूछताछ में उन्होंने बताया कि वे बांग्लादेशी रोहिंग्या है। वहां कामकाज नहीं होने से यहां आए है। ये बांग्लादेशी हिन्दुओं का नाम रखकर भीख मांगते हैं।
इन दिनों गांधीहाल में भी इनकी तादाद काफी बढने लगी है। इनके पास न तो आधार कार्ड है और न ही किसी भी प्रकार का कोई ऐसा दस्तावेज जिससे इनकी पहचान पता चल सके। रोजाना रात्रि के समय पैसों को लेकर आपस में झगड़ा करते रहते हैं। इस दौरान एक दूसरे पर पत्थर भी फैक देते हैं जिससे आस-पास से गुजरते अन्य लोगों पर अभी असर पड़ता है। इसकी शिकायत पुलिस से भी की मगर पुलिस भी इनसे पूछताछ करने में कतराती हैं क्योंकि इनसे पूछने पर यह बंगला भाषा में ही बात करते हैं।
लाकडाउन के बाद जैसे ही शहर अनलाक हुआ शहर में चारों तरफ अनजान लोगों की तादाद में भारी इजाफा देखा जा रहा हैं। ऐसे ही कुछ लोगों को अभिभाषक मनीषसिंह चंदेल ने रोक कर पूछताछ की तो पता चला यह लोग हिंदी भाषा ही नहीं बोल पा रहे हैं। इनसे जब सख्त बात की गई तो यहां कुछ महिलाओं ने अपना नाम पहले तो ममता बताया, जब इनसे सख्ती की गई तो यह बंगाली भाषा में बोलते हुए गुस्सा होकर वहां से भाग खड़ी हुई। ऐसे लोगों की संख्या बीआरटीएस पर के विजय नगर, सत्यसांई चौराहा, शिवाजी वाटिका के साथ ही भंवरकुआ जैसे चौड़े चौराहों पर ज्यादा देखे जाते हैं क्योंकि इन्हें यहां पर बनी लम्बी चौड़ी रोटरी में रात गुजारने का आसरा मिल जाता है। साथ ही ऐसे चौराहों पर लोगों का आना जाना ज्यादा बना रहता हैं जिससे ज्यादातर लोग इन्हें यहां पर कभी पैसे तो कभी अन्य सामान भी देते रहते हैं।

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