कमाई ने रोक रखी है आनलाइन ड्रायविंग लाइसेंस योजना

ऊपरी कमाई बंद न हो इसलिए वर्षों से जमा अफसर नहीं चाहते

 

 

 

इन्दौर।
आम जनता को ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए जो परेशानी आती है उसे दूर करने के लिए परिवहन विभाग अप्रैल माह से ऑनलाइन ड्राइविंग लायसेंस बनवाने की योजना लागू करने का प्रयास कर रहा है। मगर तीन माह बाद भी अभी तक ये केवल सिस्टम पर ही है। व्यावहारिक रूप से लागू नहीं हो पाई है जिसकी वजह से ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने व रिनिव्हल करवाने वालों को दिक्कत आ ही है। विभाग के अफसर ही नहीं चाहते कि ये व्यवस्था ऑनलाइन हो क्योंकि ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने आने वाले आवेदकों से ही प्रतिमाह लाखों रुपए की ऊपरी कमाई होती है। एआरटीओ अर्चना मिश्रा की तो इस लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस से हुई कमाई से ही करोड़पति के रुप में पहचान स्थापित हो चुकी है। पिछले दस से अधिक वर्षों से अर्चना मिश्रा ने अपने एवजियों व आरटीओ के सबसे बड़े ठेकेदार आरपी गौतम के सहयोग से ये आय अर्जित की है। कार्रवाई की न लोकायुक्त में हिम्मत, न ईओडब्ल्यू में दस से अधिक साल से एक ही पद व जिले में इतना लंबा कार्यकाल करोड़पति बनकर गुजारा है। आरटीओ जितेंद्र रघुवंशी भी अर्चना मिश्रा के अनुसार ही दफ्तर के संचालन करते हैं। एक तरह से पूरे आरटीओ पर अर्चना मिश्रा का दबदबा कायम है। परिवहन कार्यालय में होने वाले सारे काम की सीएफ तय है। इसके अलावा अनेक रास्ते भी खोजकर ऊपरी कमाई के रास्ते बनाने में यहां के अफसर माहिर हैं। जैसे ही ऑनलाइन की प्रक्रिया को गति मिलती है वैसे ही पूरी भ्रष्ट लॉबी भ्रष्ट लॉबी इसे अटकाने में सक्रिय हो जाती है। अप्रैल से तो कोरोना का नाम लेकर इस व्यवस्था की लटकाया गया। अब एक जुलाई से ऑनलाइन ड्राइविंग लाइसेंस व लर्निंग लायसेंस के साथ ही नवीनीकरण भी हो जाए तो आम लोगों को लाभ मिलेगा। उन्हें केवल शासन की फीस ही देनी पड़ेगी रिश्वत नहीं। मजे की बात ये है कि सभी अफसर जानते हैं कि यहां रहकर अर्चना मिश्रा ने कितनी संपत्ति अर्जित की है, मगर न तो लोकायुक्त के किसी अधिकारी की हाथ डालने की हिम्मत है और न ही ईओडब्ल्यू विभाग की। यही वजह है कि आरटीओ में भ्रष्टाचार अपने चरम पर है।

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