बंगाली ब्रिज का पीलर १०० फीट रखने पर ही सुधरेगा ट्रैफिक
60 फीट पर सहमति बनी तो जाम से होते रहेंगे परेशान
इंदौर। शहर के बहुप्रतीक्षित बंगाली ब्रिज की दोनों भुजाओं, स्पान और पीलर को लेकर विरोध का क्रम लगातार जारी है। शासन स्तर पर इस समस्या का निराकरण का प्रयास जारी है। तीन दिन बाद आज ब्रिज की चौड़ाई, स्पान को लेकर सहमति बन सकती है। वर्तमान में 60 फीट के पीलर पर ब्रिज को खड़ा करने की योजना है। ब्रिज के पीलर को 100 फीट चौड़ा किया जाए तो आने वाले दिनों में यहां से ट्रेफिक सुधर सकेगा।
लोक निर्माण विभाग लंबे समय से ब्रिज निर्माण को लेकर काम कर रहा है। पिछले साल लाकडाउन के चलते काम अधूरा छोड़ना पड़ा। इस साल सिंधिया प्रतिमा को स्थानांतरित करने में तीन से चार माह निकल गए। जैसे-तैसे काम शुरू हुआ था कि ब्रिज के स्पान को लेकर जनप्रतिनिधियों ने अपने विरोध दर्ज करा दिए। मामला शासन तक पहुंचा। नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव ने निर्माण एजेंसी और जनप्रतिनिधियों से बात की। दोनों पक्षों की सहमति के बाद ब्रिज का काम शुरू लगा। ब्रिज बनने से काफी हद तक यातायात व्यवस्था में सुधार आने की बात कही जा रही है। यहां से खजराना, कनाड़िया, पलासिया, पीपल्यापाना तरफ से दिनभर वाहनों के आने का क्रम बना रहता है। वर्तमान में चौराहे पर वाहन गुत्थम गुत्था होते हैं। इन मार्गों से आने वाले वाहन आसानी से गंतव्य निकल जाए, इसी मंशा को ध्यान में रखते हुए बंगाली ब्रिज की योजना लाई गई थी। योजना के तहत ब्रिज की डिजाइन और लेआउट तय हो गया है।
सीधे जाने वालों को होगी परेशानी
ब्रिज को लेकर शहर के प्रसिद्ध आर्किटेक्ट अतुल सेठ ने यातायात सुधार को लेकर बंगाली चौराहे और पिपलियाहाना चौराहे का स्केच प्लान तैयार किया है। इसमेंं वास्तविक पीलर, चौराहे पर आने वाले रोड को, सर्विस रोड को और उस पर चलने वाले ट्रैफिक को दर्शाया गया है। इसे देखने पर स्पष्ट होता है कि पिपलियाहाना चौराहे पर जहां 100-100 फिट पर पीलर दिए हुए हैं, वहां का ट्रैफिक कितनी सुगमता से जा रहा है और सर्विस लेन से आने वाले ट्रैफिक के साथ में उसकी दुर्घटना की संभावना कितनी कम हो जाती है।
बंगाली चौराहे पर अगर 60 -60 फीट पर पिलर बनते हैं, तो किस कठिन तरीके से ट्रैफिक घुमेगा। वही सर्विस लेन से आने वाले ट्रैफिक को और सीधे जाने वाले ट्रैफिक को कम मिलेगा और दुर्घटना बढ़ेगी। खासकर जब, सिग्नल नहीं होंगे। इसलिए 60- 60 फीट के पीलर को हटाकर कम से कम 100 फीट का स्पान बनाना चाहिए, तभी इन समस्याओं में हमें राहत मिलेगी। अन्यथा बंगाली चौराहे पर चाहे हम दोनों भुजाओं के लिए अलग-अलग पीलर बनाएं या दोनों भुजाओं के मध्य में एक पिलर बनाएं, हमें कुल 60 फीट का अंतर ही रहेगा। इससे चौराहे पर आने वाले समय में जाम लगेगा, मोड़ने में वाहनों को बहुत तकलीफ होगी।
विरोध करने वाले जनप्रतिनिधियों का कहना था कि ब्रिज के स्पान की चौड़ाई कम होने से यातायात व्यवस्था चरमरा जाएगी। वाहन एक दूसरे से सटकर चलेंगे। भारवाहक वाहन फंसने की भी संभावना रहेगी। ब्रिज का निर्माण आने वाले 50 सालों को ध्यान में रखकर तैयार किया जाए, अन्यथा इसका कोई औचित्य नहीं रहेगा।