लाखों खर्च कर दिये फिर भी नहीं हटा पाये तालाबों से जलकुम्भी
११ लाख की मशीन से भी चला अभियान, नतीजा शून्य
इंदौर। शहर के तालाबों में बेहताशा फैल रही जलकुम्भी को हटाने के लिए नगर निगम ने पिछले साल 11 लाख रुपए के किराए पर वीड हार्वेस्टर मशीन लगाकर सिरपुर तालाब की सफाई करवाई थी। समय पर ध्यान न देने से यह जलकुम्भी फिर से फैल कर तालाब के पानी को प्रदूषित करने लगी है। हर साल किराए की मशीन लेकर निगम तालाबों में सफाई अभियान चला कर भूल जाता हैं लेकिन इसका स्थाई हल नहीं निकालता जिससे निगम को हर साल लाखों रूपए का नुकसान होता है। पिछले साल नवम्बर माह में की गई थी सफाई छह माह बाद फिर से तालाबों पर जलकुम्भी का कब्जा बरकरार।
शहर में स्थित 14 तालाबों में आंतक के रूप में फैल रही जलकुम्भी को साफ करने के लिए नगर निगम लाखों रूपए पानी में बहा देता है। तालाब के पानी को प्रदूषित करने में जलकुम्भी का अहम रोल अदा करती है। इससे पानी में ऑक्सीजन की कमी के साथ ही जलीय जीवों और वनस्पती खत्म हो जाते है। नदी में पैदा होने वाली जलकुम्भी पानी बहाव को भी 40 प्रतिशत तक खत्म कर देती है। जिससे पानी जहरीला होने लगता है, ऐसे पानी में किसी भी प्रकार के जलीय जीवों का जीवित बचना संभव नहीं रहता जिससे पानी अनुपयोगी हो जाता है। पिछले साल नवम्बर माह में निगम के अधिकारियों ने सिरपुर तालाब, बिलावली, यशवंत सागर, खजराना और पिपल्यापाला तालाब में जलकुम्भी की सफाई के लिए किराए पर ली गई मशीन से सफाई का जायजा लिया था। वाटर प्लस सर्टिफिकेट के लिए निगम ने शहर के इन तालाबों में वीड हार्वेस्टर मशीन का इस्तेमाल कर तालाब सफाई का अभियान चलाया था। एक बार तालाब से मशीन निकालने के बाद निगम के किसी भी अधिकारी ने पलट कर भी नहीं देखा, नतीजतन इन तालाबों में जलकुम्भी फिर से अपने पैर पसारते हुए तालाब के ज्यादातर हिस्सों में यह विकराल रूप ले चुकी हैं जिससे इन तालाबों के जलीय जीवों पर बुरा असर पडऩे लगा है। साथ ही पानी की दुर्गंध से आस-पास के रहवासियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। तालाबों के आस-पास की कॉलोनियों के लोग इसमें कचरा भी बड़ी तादात में फेंक रहे हैं। जिससे तालाब के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है।
11 लाख रूपए प्रतिमाह किराया
दो वीड हार्वेस्टर मशीनों का किराया 11 लाख रूपए प्रतिमाह है। यह मशीन तालाबों में जलकुम्भी के साथ प्लास्टिक का कचरा भी समेट लेती है। हर मशीन की क्षमता 13 क्यूबिक होती है। इस मशीन में तीन सेक्शन होते हैं। एक सेक्शन कचरा इकट्टा करता हैं तो दूसरा कचरा स्टोर करता है। वहीं तीसरा सेक्शन कचरा-मटेरियर बाहर फेंक देता है।
जलकुम्भी से नुकसान
जलकुंभी से पानी में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है जिससे मछलियों के अलावा अन्य जलीय जीवों व वनस्पतियों कम हो जाती है। यह पानी के बहाव को 20 से 40 प्रतिशत तक कम कर देती है। इसलिए इसे हटाना बेहद जरुरी है।
अस्थमा और दर्द निवारण दवाई बनती हैं
जलकुम्भी का साउथ में होता हैं उपयोग, नगर निगम भी कर सकती हैं इससे कमाई जलकुम्भी को साउथ के कई शहरों में आयुर्वेद उपचोर के रूप में भी किया जाता है। जैसे अस्थमा, दर्द व त्वचा की बीमारियों के अलावा फर्नीचर और हैंड बैग भी बनाए जा रहे हैं। अगर नगर निगम इसे लघु उद्यौगों लगाकर इसका इस्तेमाल करें तो लाखों की कमाई भी हो सकती है, जिससे सरकार के राजस्व में इजाफा होगा।