Sulemani Chai: आई के सोसायटी और उड़ता तीर…काजियों की परेड

आई के सोसायटी और उड़ता तीर
बीते दिनों खजराना में आई के की जमीन और रास्ते को लेकर वहां के रहवासी और पार्षद रुबीना इकबाल खान लड़ाई लड़ रहे हैं। फैसला कोर्ट से होना हे लेकिन इस सब फसाद के बीच शहर के एक गैर महफूज नेता की पोस्ट दो अल्पसंख्यक नेताओं को नागवार गुजरी जिसे लेकर उन्होंने आई के के कंधोंं (लेटर पेड) का इस्तेमाल कर पोस्ट की कॉपी संलग्न कर थाने पर आवेदन के रूप में दे दी। अब साहब फिलहाल वो गैर महफूज शख्स हालिया राजनीति में सबसे महफूज डॉ. का कंपाउंडर है जिसके तार उज्जैन से जुड़े है जो कई खेल बिगाडऩे मेंं महारत रखता हैं भले ही वो अपना खेल कभी जमा नहीं सका लेकिन बिगाडऩे में कंपाउंडर के अंदर जरूरत से ज्यादा फुर्ती है। दोनों का जो होगा सो होगा लेकिन इस्तेमाल होने वाले कंधों को भी नुकसान हो सकता हैं।

काजियों की परेड

पिछले दिनों वक्फ बोर्ड के प्रदेश मुखिया ने वो काम कर दिखाया जो शायद किसी करिश्में से कम नहीं था, तो साहब हुआ यूं कि जो काजी साहेबान मिल्लत के बड़े-बड़े कामों के लिए मसलक की आड़ लेकर आपस में नहीं बैठते वो सभी सनव्वर की टोकरी में शाने -ब-शाने दुबके नजर आए, जिनमें ज्यादातर साहेबान वक्फ के दूध से मलाई निकालते है तो कुछ वक्फ से मिलने वाली खीर के इंतजार में हैं। देखने वाली बात यह हे कि कोई अपने मकसद के लिए कहीं भी बैठ जाता है तो कोई मिल्लत की नुमाइंदगी के बाद भी क़ौम के फायदे के लिए कहीं भी बैठने को राजी नहीं। अब साहब डॉ. पटेल को ये ध्यान रखना चाहिए कि मैं को टोकरी में बैठाने के बाद ऊपर से ढक्कन भी लगाना जरूरी हैं, काजी साहेबान से गुजारिश है कि इस मिसाल को कोई भी अपने ऊपर न ले, ओर ले, तो, ले, ले।

तेरा खुलूस तेरा जनाजा बता गया…
कहते है कि किसी नेमत का एहसास उसके जाने के बाद होता है कुछ ऐसा ही एहसास और कमालों की कमी शहर का हर वो शख्स महसूस कर रहा हे जो ताहिर से एक बार भी मिला हो, ये कमाल उसी शख्सियत का है जो पहली ही मुलाकात में अपनी छाप छोड़ देता था, ये ताहिर का ही कमाल था कि उनके जनाजे में हजारों की तादाद में हर तबके और मसलक का इंसान सिर्फ मुसलमान और इंसान बनके शामिल था। ताहिर के जाने के बाद हमारी क्या समाज के लिए कोई जिम्मेदारी बनती है जिसके लिए ताहिर हमेशा परेशान रहते थे। इसी के साथ आज हमारे बीच जो कमाल वाले बचे है हम उनकी कितनी कद्र कर रहे है या उन कमाल वाले शख्स की जिंदगी में झांकने की कोशिश भी कर रहे हे कि वो कितनी मुश्किलों में मुब्तिला है या फिर ऐसे कितने ताहिरों को हम निखारने की कोशिश कर रहे हैं।

दुमछल्ला,
जहां शहद वहां मक्खी…
अब साहब कहावत पुरानी है कि जहां शहद होगा वहीं तो मक्खी होगी। कुछ ऐसा ही मामला बीजेपी नेता गौरव रणदीवे को जब प्रदेश महामंत्री का गौरव प्राप्त हुआ तो बीजेपी के सारे अल्पसंख्यक लौटे फिर गौरव बाबू की तरफ लौटने लगे पहले जब गौरव नगर मुखिया पद से हटे तब सभी ने अपने हैडिंग पोस्टर से गौरव को डिलीट कर दिया था लेकिन प्रदेश का पद मिलते ही सभी लोटो ने गौरव गान शुरू कर दिया है, और सारे नंबरियों ने गौरव बाबू के दरबार में हाजिरी भरना भी शुरू कर दिया है।
मेहबूब कुरैशी
९९७७८६२२९९

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