मांगलिया डिपो में विवाद,15 से अधिक पम्पों के टेंक खाली

प्रशासन ने मामला नहीं सुलझाया तो कल 80 फीसदी पेट्रोल पम्पों पर भारी किल्लत

Petrol and diesel crisis due to drivers' strike
Petrol and diesel crisis due to drivers’ strike

इंदौर। पेट्रोल-डीजल को लेकर कल जहां शहर में कई पम्पों पर अफरा-तफरी का माहौल रहा वहीं मांगलिया डिपो में विवाद और टैंकर के कांच फोड़े जाने के बाद से आज सुबह कई पम्पों पर सप्लाय नहीं हो सकी। 15 से 20 फीसदी पम्प सुबह कुछ घंटों में ही खाली हो गए थे। आज यदि प्रशासन ने ड्रायवरों की हड़ताल के मामले में हस्तक्षेप नहीं किया तो कल 80 फीसदी पम्पों पर पेट्रोल-डीजल का संकट रहेगा। जिले में लगभग 250 पम्प संचालित हैं और कुल वाहनों की संख्या 25 लाख के आसपास है।

तीन दिन पहले आल इंडिया मोटर कांग्रेस संगठन द्वारा चेतावनी दी गई थी कि सरकार के हिट एंड रन कानून में बदलाव नहीं किया गया तो प्रदेश में ड्रायवर हड़ताल कर देंगे और ट्रक-बस सहित पेट्रोल-डीजल के टैंकर भी नहीं चलेंगे। कल से कई जगह ड्रायवरों ने हड़ताल भी शुरू कर दी। सबसे ज्यादा असर पेट्रोल-डीजल को लेकर हो रहा है। कल मांगलिया डिपो पर अलग-अलग आईल कम्पनियों के टैंकर चलाने वाले ड्रायवरों ने जब हड़ताल की तो पुलिस ने यहां हस्तक्षेप किया और विवाद के बीच एक पेट्रोल टैंकर के कांच भी फोड़ दिए गए और इससे माहौल और गड़बड़ा गया। ड्रायवरों ने आज हड़ताल की चेतावनी दी मगर पम्पों पर कल रात के बाद आज सुबह फिर पेट्रोल-डीजल को लेकर अफरा-तफरी का माहौल रहा और कई पम्पों पर पेट्रोल लगभग खत्म हो चुका था। पम्प संचालकों ने प्रशासन से मांग की है कि ड्रायवरों की हड़ताल के संबंध में सरकार से कोई निर्णय करवाए अन्यथा कल 80 फीसदी पम्पों पर पेट्रोल का संकट रहेगा। जिले में लगभग 250 पम्प हैं। कार, स्कूटर, बाइक, ट्रक, बस के अलावा अन्य वाहन मिलाकर कुल वाहन संख्या 25 लाख के आसपास है। इंदौर में प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों के जिलों से भी ट्रक, बस व अन्य वाहन आते-जाते हैं। प्रदेश की व्यापारिक राजधानी होने के चलते भी हड़ताल और पेट्रोल-डीजल नहीं मिलनेसे काफी नुकसान होगा।

दाम कम होने के संकेत से स्टाक नहीं भरा

सरकार ने पिछले दिनों पेट्रोल के दाम 10 रुपए घटाने के संकेत दिए थे, ऐसे में कई पम्पों पर स्टाक नहीं भरा गया। अब चूंकि हड़ताल की संभावना चल रही है इसलिए पेट्रोल-डीजल का संकट जल्द गहरा सकता है। संचालकों का मानना है कि सरकार को नए कानून पर फिर से विचार करना चाहिए। पेट्रोल के अलावा खाने-पीने की चीजों पर भी असर पड़ेगा। सबसे ज्यादा फल-सब्जी, दूध के दाम में वृद्धि हो सकती है। े भी हड़ताल और पेट्रोल-डीजल नहीं मिलनेसे काफी नुकसान होगा।

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