निगम ठेकेदार आत्महत्या: पूर्व अधिकारी पर उठी अंगुली

बिना टेंडर काम करवाया, लेकिन पैसे के लिए उलझाया

Corporation contractor suicide: Finger pointed at former officer
Corporation contractor suicide: Finger pointed at former officer

इंदौर। नगर निगम के ठेकेदार अमरजीत भाटिया उर्फ पप्पू भाटिया की आत्महत्या के मामले में उंगली नगर निगम के जनकार्य विभाग के अधिकारियों पर उठ रही है। इस घटना से ये भी साफ हो गया कि नगर निगम के जनकार्य विभाग और अन्य विभागों के कामकाज में किस हद तक भ्रष्टाचार व्याप्त है। आत्महत्या के इस मामले में भी रिटायरमेंट से पहले वीआरएस देकर रिटायर किए गए अफसर ठेकेदार की मौत के बाद से गायब हैं, जबकि ठेकेदार के परिवार का आरोप है कि निगम के रिटायर्ड अफसर ही दोषी हैं। वहीं भाटिया द्वारा जनकार्य विभाग के पूर्व अधीक्षण यंत्री को दी गई कार पुलिस ने जब्त कर ली है।

दरअसल, शहर में हुए दो बड़े आयोजनों से कमीशन के लिए निगम के रिटायर्ड अफसर अशोक राठौर ने ही एक कंपनी को टेंडर दिलाया और डॉक्यूमेंट में नाम न होते हुए भी सारे काम बतौर पेटी कांट्रैक्टर भाटिया को दिलाए। कंपनी को तो नगर निगम से पेमेंट मिला, लेकिन पप्पू भाटिया को नहीं मिला। उन्होंने इन दोनों आयोजनों में कई लोगों से काम भी करवाया था और वे भाटिया से पैसे मांग रहे थे। भाटिया के साथ 50 से ज्यादा पेटी कांट्रेक्टर काम करते थे।

परिवार ने आरोप लगाए

ठेकेदार भाटिया की मौत के मामले में तुकोगंज पुलिस ने परिवार से बात करने की बात कोशिश की, लेकिन गमी के चलते उन्होंने बाद में थाने आकर बयान देने को कहा है। नगर निगम से वीआरएस देकर निकाले गए निगम अधिकारी के बारे में परिवार का कहना है कि उन्होंने ठेका लेने वाली कंपनी से अपने कमीशन का हिसाब-किताब तो कर लिया, लेकिन वे अमरजीत भाटिया को पेमेंट दिलवाने में बेवजह देरी कर रहे थे। इस कारण भाटिया ने जनवरी 2023 में हुए कामों का छोटे ठेकेदारों और मजदूरों को दिसंबर में सुसाइड के पहले तक अपने पास से पेमेंट किया। हालांकि इससे वे कर्ज में डूब गए थे।

बिना टेंडर करते थे काम

भाटिया के पास निगम के कई बड़े काम के टेंडर आते थे। अधिकारियों के कहने पर वे कई काम बिना टेंडर के करवा देते थे। बाद में भाटिया को पेमेंट मिल जाता था। निगम में उनका यह व्यवहार 30 साल से चल रहा था। संजीवनी क्लिनिक, पैवर ब्लॉक और स्कूलों की बिल्डिंग बनाने जैसे कई टेंडर उनके पास थे। इसमें से कई काम अभी अधूरे हैं। उनके आत्महत्या कर लेने से अब ये काम पिछ?ने की आशंका है।

पूर्व अधीक्षण यंत्री के बेटे की धार रोड पर पाइप फैक्ट्री

सूत्रों की मानें तो पूर्व अधीक्षण यंत्री के बेटे की धार रोड पर पाइप फैक्ट्री है। इसमें पाइप के साथ ही चेंबर के ढक्कन और अन्य सामान भी बनाया जाता है। सूत्र बताते हैं कि इस फैक्ट्री से नगर निगम में विगत 10 वर्षों से इन सामान की सप्लाई की जा रही है।

ठेकेदार को उलझाने वाले 10 और भी निगम अधिकारी

सूत्र बताते हैं कि ठेकेदार भाटिया को उलझाने वाले सिर्फ जनकार्य विभाग के पूर्व अधीक्षण यंत्री ही अकेले नहीं हैं। उनके अतिरिक्त 10 अन्य अधिकारी भी ऐसे हैं, जिन्होंने भाटिया से नियम विरूद्ध काम करवाया और उन्हें कर्ज तले दबवा दिया। सूत्र बताते हैं इनके खिलाफ भी जल्द ही कार्रवाई की जा सकती है। बताया तो यह भी जा रहा है कि उद्यान विभाग के कुछ अधिकारियों के पास भी खुद की नर्सरींयां है जिससे वह निगम में सप्लाई करते हैं।

पूर्व अधीक्षण यंत्री का मोबाइल आया बंद

मामले में नगर निगम के जनकार्य विभाग के पूर्व अधीक्षण यंत्री अशोक राठौर से उनका पक्ष जानने के लिए जब फोन लगाया तो राठौर का मोबाइल बंद आता रहा।

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जानकर भी अनजान बने आला अधिकारी

पप्पू भाटिया के मामले में जो खुलासा हुआ है। उसके बाद अब देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर के नगर निगम से जुड़े अलग अलग विभागों में जारी बंदरबाट के सीधे तौर पर खुलासे पर खुलासे हो रहे हैं, जिसे देखते हुए अब तमाम झूठे दावों की चादर ओढ़े जिम्मेदारों की सुस्त, बेपरवाह या कहें कि जानकर भी अनजान बनने जैसे इरादे सामने दिख रहे हैं। खैर, अब बात करते हैं नगर निगम के जनकार्य विभाग से वीआरएस लेकर रिटायर हुए अधीक्षण यंत्री की तो उन्होंने उक्त मृतक ठेकेदारों को निगम के इस घटिया भ्रष्ट बवंडर में घुसा तो दिया लेकिन ऐन वक्त पर कैन करते हुए आधे रास्ते में ही छोड़ दिया। वहीं बात वहीं लेखा विभाग में पदस्थ जिम्मेदारों की भूमिका अपने आप ही संदिग्ध दिखाई दे रहे हैं।

निगम में हर बात पर देना पड़ता है कमीशन

भाटिया के मामले में अब ठेकेदारों का गुस्सा अब फूट रहा है, क्योंकि अब वह निगम में जारी बंदरबाट से उखड़ रहे हैं। दरअसल पप्पू ठेकेदार से जुड़े लोगों ने कहा कि निगम में अगर काम करना है तो फिर जनकार्य विभाग से लेकर, ऑडिट विभाग, जोनल अफसर से लेकर यंत्री सभी को भेंट-पूजा देना पड़ता है। उसके बाद ही कुछ आगे हो सकता है। हालांकि भेंट-पूजा देने की भी एक सीमा होती हैं जिसे वह पार कर गए तो उन्हे कार्य करने से कुछ लाभ नहीं होता है।

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