14 लाख टन दाल, 60 लाख टन गेहूं और 40 लाख टन शकर के स्टॉक की तैयारी
चुनाव से पहले महंगाई से दो-दो हाथ करने की तैयारी
नई दिल्ली (ब्यूरो)। लोकसभा चुनाव के पहले सरकार महंगाई से दो-दो हाथ करने की तैयारी शुरू कर चुकी है। खाद्यान की महंगाई 12 प्रतिशत से ऊपर होने के साथ ही शकर, दाल, तेल और गेहूं सहित मोटे अनाज के उत्पादन में लगातार गिरावट को देखते हुए विदेशों से अनाज बुलाए जाने को लेकर तैयारी शुरू हो गई है। गेहूं के आयात को लेकर दरवाजे खोले जा रहे हैं। दूसरी ओर इस साल मौसम की मार के चलते 25 लाख हैक्टेयर में फसलें नहीं बोई जा सकीं हैं। इसमें 10 लाख हैक्टेयर में गेहूं की फसल बोई जानी थी। शकर की कीमतों में आग लगने के हालात दिखते ही सरकार ने एथेनाल के उत्पादन पर रोक लगाकर 40 लाख टन अतिरिक्त शकर जुगाड़ी है। वहीं 14 लाख टन दाल का आयात भी किया जा रहा है, ताकि शांतिपूर्वक बिना महंगाई के बीच राम मंदिर के लोकार्पण का कार्यक्रम भी निर्विघ्न हो सके।
सरकार को अब यह अच्छी तरह दिखाई दे रहा है कि महंगाई अब बड़ा मुद्दा बन रही है। तुअर दाल के भाव पहले से ही 200 रुपए प्रति किलो के आसपास बने हुए हैं। अब सरकार ने रबी की फसल के मार खाने के संकेत मिलने के बाद गेहूं के आयात की तैयारी शुरू कर दी है। रूस से सस्ता गेहूं खरीदने को लेकर बातचीत शुरू हो गई है। हालांकि यह भारतीय गेहूं से महंगा होगा। दूसरी ओर किसान सरकार को गेहूं देने के लिए समर्थन मूल्य पर तैयार नहीं है, क्योंकि बाजार में उन्हें ज्यादा कीमत मिल रही है। ऐसे में सरकार अब अपना बफर स्टाक भरने के लिए आयात प्रारंभ करेगी। इधर दूसरी ओर शकर की महंगाई ने सरकार को डरा दिया है। ऐसे में शकर ने अपने पेट्रोल की कीमतें कम करने के लिए चलाए जा रहे एथेनाल उत्पादन को रोकते हुए शकर का उत्पादन बढ़ाने का निर्णय लिया है। इससे 40 लाख टन अतिरिक्त शकर बनेगी। दूसरी ओर समर्थन मूल्य पर एक लाख टन मक्का खरीदने का लक्ष्य रखा गया है।
210 लाख टन का स्टॉक
सरकार के मुफ्त अनाज योजना और सेना के लिए 235 लाख टन गेहूं की जरूरत है और सरकार के पास अभी 210 लाख टन गेहूं मौजूद है। नई फसल आने के बाद सरकार के बफर स्टाक में वृद्धि का अनुमान है, पर यदि किसानों का गेहूं कम आया तो मुफ्त अनाज बांटने के लिए सरकार को विदेशों से महंगा गेहूं आयात कर बांटना पड़ेगा।
निर्यात बंद, आयात शुरू
20 वर्षों बाद इस साल सरकार को गेहूं का आयात शुरू करना पड़ रहा है, जबकि विश्व के गेहूं उत्पादक देशों में भारत तीसरे नंबर पर है। पिछले समय विश्व गुरू बनने के दौर में गेहंू का भारी निर्यात किया गया था, परंतु अब सरकार को अपने ही कार्यक्रमों के लिए गेहूं आयात करना पड़ रहा है।
मटर बुलाई, प्याज रोका
सरकार ने भाव पर नियंत्रण को लेकर अब बड़े कदम उठाए हैं जिसके चलते 14 लाख टन तुअर और उड़द की दाल मलेशिया से आयात की जा रही है। मटर का आयात भी करने के साथ प्याज के निर्यात पर रोक लगाई है, ताकि चुनाव के समय कीमतों को लेकर कोई तनाव नहीं रहे, हालांकि किसान विरोध कर रहे हैं।