सस्ते घरों का निर्माण देश में बंद, 1 करोड़ से अधिक कीमत के ही ज्यादा खरीददार

Construction of cheap houses stopped in the country
Construction of cheap houses stopped in the country

नई दिल्ली (ब्यूरो)। अब देश में मध्यमवर्गीय परिवारों का सस्ते घर का सपना पूरा होना संभव नहीं रहा है। देशभर में अब 60 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपए तक की लागत के मकानों की बिक्री ही केवल बढ़ रही है। कई जगहों पर 1 करोड़ से अधिक के मकानों को खरीदने के लिए लाइनें भी दिल्ली में देखी गई हैं। वहीं 30 लाख से कम के मकानों का निर्माण भी अब लगभग बंद हो गया है। जहां सस्ते घरों में मकानों की लागत पिछले दो सालों में 20 प्रतिशत बढ़ी है तो वहीं मकान की ईएमआई भी अब बढ़ गई है। इससे आम लोगों ने मकान खरीदने से दूरी बना ली है।

देश में निर्माण क्षेत्र में नजरें रखने वाली एजेंसी एनारॉक ने अपनी ताजा रिपोर्ट में जानकारी दी है कि अब सस्ता घर सस्ता नहीं रहा है। दूसरी ओर जहां सस्ते घरों की लागत में 20 प्रतिशत वृद्धि होने के साथ ही 30 लाख के लोन पर जहां पिछले साल 22,700 रुपए तक किश्त आती थी वह अब बढ़कर 27,300 रुपए तक पहुंच गई है। कर्ज की लागत बढ़ने से आम लोगों का बजट गड़बड़ा रहा है। पहले 30 लाख के कर्ज पर ब्याज की दरें 6.7 प्रतिशत थी जो अब बढ़कर दहाई अंकों में यानी 10 प्रतिशत तक बढ़ गई है।

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कच्चे माल की कीमतें बढ़ने से जमीनों की कीमतें बढ़ जाने से अब आम आदमी यानी मध्यमवर्गीय परिवार अपनी छत का सपना पूरा नहीं कर पा रहे हैं। देशभर में जितने भी नए प्रोजेक्ट बिल्डरों द्वारा उतारे जा रहे हैं उनमें 1 करोड़ रुपए से ऊपर की लागत के ही मकान बनाए जा रहे हैं। इसे लेना आम आदमी के लिए संभव नहीं है।

देश में बहुत बड़ी आबादी अधिकतम 5 लाख रुपए साल तक ही कमा रही है। ऐसे में अब मध्यम वर्ग परिवारों के लिए मकान लेना और कर्ज लेना दोनों ही संभव नहीं है। इधर बैंकों में भी छोटे मकान खरीदने वाले परिवार अब डिफाल्टर हो रहे हैं।

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