जीआईएस सर्वे में 2 लाख 15 हजार नई संपत्तियां मिली, 38 करोड़ का राजस्व भी बढ़ा

 

2 lakh 15 thousand new properties were found in GIS survey, revenue of 38 crores also increased
GIS survey

इंदौर। जीआईएस सर्वे का लाभ इंदौर नगर निगम को अब मिलने लगा है। जीआईएस सर्वे से पहले इंदौर में ५.८ लाख संपत्तियां दर्ज थी जो सर्वे के बाद बढ़कर ७.२३ लाख हो गई है। इस आधार पर नगर निगम की डिमांड भी २५१ करोड़ से बढ़कर २७९ करोड़ पहुंच गई है। हालांकि प्रापर्टी खरीदी और बिल्डिंग परमिशन के बीच अभी भी बड़ा अंतर दिखाई दे रहा है। जो बता रहा है कि बिना अनुमति के बड़ी संख्या में निर्माण किये गये है या फिर मकान पहले से बने हुए थे लेकिन संपत्ति के तौर पर दर्ज नहीं थे। GIS survey

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नगर निगम के कर्मचारियों के अमले की मिलीभगत से संपत्तिकर की चोरी लगातार हो रही है। पूरे प्रदेश में बड़े शहरों में किये जा रहे जीआईएस सर्वे के बाद कुल २०२३ के दौरान १.४३ लाख संपत्तियां ही मिली है जबकि भवन अनुज्ञा के मामले ३९ हजार ही सामने आये हैं। नगरीय विकास और आवास विभाग ने सभी निकायों में प्रापर्टी को चिन्हित करने के लिए जीओ ग्राफिकल इर्फोमेशन सिस्टम (जीआईएस) की मदद से सर्वे का काम प्रारंभ करवाया था। इंदौर, भोपाल, सागर और मुरैना सहित २१२ निकायों में यह कार्य पूरा हो चुका है जबकि ७३ निकायों में बेसमेप बन चुका है बाकि ७८ में अभी प्रक्रिया चल रही है। इस सर्वे का उद्देश्य निकायों को मिलने वाली संपत्तिकर की बढ़ोतरी करना है ताकि उनके आर्थिक स्थिति में सुधार आ सके। इंदौर में जीआईएस सर्वे के बाद मिली नई २ लाख १५ हजार संपत्तियों के कारण३८ करोड़ रुपये की आय नगर निगम की ओर बढ़ गई है।

स्मार्ट सिटी क्षेत्र में भवन अनुज्ञा की गली निकाली

स्मार्ट सिटी क्षेत्र में नक्शे पास किये जाने यानि भवन अनुज्ञा को लेकर आ रहे खर्च को लेकर अब नगर निगम के बीओ और बीआई ने शानदार रास्ता बताते हुए अधिकांश लोगों को बिना नक्शा पास करवाये ही मकान बनाने के लिए इशारा कर दिया है। पिछले कुछ दिनों में राजमोहल्ला क्षेत्र में ही स्मार्ट सिटी मार्गों पर आठ से अधिक जगहों पर नगर निगम से बिना भवन अनुज्ञा २ से ३ मंजिला के निर्माण किये जा रहे हैं। कई और जगह भी यही स्थिति बनी हुई है। GIS survey

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