10 करोड़ की सरकारी जमीन निजी करने का आरोप, एसडीएम की होगी जांच

इन्दौर। जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा कई बार भारी गड़बड़ी करते हुए जहंा शासन को ही राजस्व का चूना लगाया जाता है वहीं सरकारी जमीन में भी खेल कर दिये जाते हैं। बताया गया है कि महू के हरसोला गांव की 1.2 हेक्टेयर सरकारी जमीन को एसडीएम ने निजी दर्ज कर दी है। यह जमीन 10 करोड़ रूपये कीमत की है। पहले कलेक्टर ने इस जमीन को चरनोई घोषित की थी मगर लक्ष्मीबाई पति रामकिशन के नाम पर दर्ज कर दी गई। अब एसडीएम की जांच की जाएगी।
आरोप पत्र में कहा गया है कि महू एसडीएम रहते हुए आपने (एसडीएम राकेश परमार) 6 जून 2025 को ग्राम हरसोला की सर्वे नंबर 1010/4 की 1.214 हेक्टेयर सरकारी जमीन, जो पहले शासकीय चरनोई थी, उसे लक्ष्मीबाई पत्नी रामकिशन के नाम पर निजी तौर पर दर्ज करने का आदेश दिया था। यह आदेश न्यायालयीन प्रकरण क्रमांक 197/अपील/2024-25 के तहत 6 जून 2025 को पारित किया गया था। आरोप पत्र में यह भी है कि इंदौर कलेक्टर ने केस 10/अ-39/2001-02 में पारित आदेश 18 अप्रैल 2022 द्वारा भू राजस्व संहिता 1959 के तहत धारा 182 (2) में पट्टा निरस्त किया था। वहीं इसे शासकीय चरनोई घोषित किया गया था।
जमीन को लेकर 2003 में कमिश्नर ऑफिस से आदेश
इस केस की शुरुआत 2001-02 से होती है। जमीन दर्ज कराने वाले आवेदक का कहना था कि 1994 से 2003 तक राजस्व रिकॉर्ड में जमीन उनकी थी। फिर हटा दी गई। इसका कारण था इंदौर कलेक्टर द्वारा 2000-01 में दिया गया आदेश। इसमें जमीन को सरकारी घोषित किया गया। अपीलार्थी ने कहा कि लेकिन बाद में संभागायुक्त कार्यालय में अपर आयुक्त राजस्व द्वारा अपील 254/2001-02 में 16 जनवरी 2003 में पारित आदेश के तहत कलेक्टर के आदेश को खारिज कर दिया गया।
क्या बोले कलेक्टर, एसडीएम
कलेक्टर शिवम वर्मा ने कहा कि जांच के लिए संबंधित दस्तावेज मांगे गए थे जो संभागायुक्त ऑफिस दे दिए गए हैं। वहीं महू एसडीएम परमार का कहना है कि इस मामले में तत्कालीन संभागायुक्त कोर्ट का ही आदेश था जिसका पालन किया गया। बाद में इसमें सरकारी होने की बात आई तो इसमें नियमानुसार आदेश को रिव्यू करने की मंजूरी ली गई और रिव्यू का केस चल रहा है। सभी कुछ नियमानुसार और प्रक्रिया से हुआ है।